________________
मत्तं
६३८. जीवाणं पुग्गलाणं,
एदाणं पज्जाया,
हुति परियट्टणा विविहार ।
वते मुक्ख-काल- आधारे ॥
६३९. समयावलि - उस्सासा,
ववहारकालणामा,
पाणा थोवा य आदिआ भेदा । णिहिट्ठा वीय एहिं ॥
६४०. अणुखंधवियप्पेण दु, पोग्गलदव्वं हवेइ दुवियप्पं । खंधा हु छप्पयारा, परमाणू चेव दुवियप्पो ॥
६४१. अइथूल- थूल थूलं, थूलसुहुमं च सुहुमथूलं च । सुमं अइसहमं इदि धरादियं होदि छन्भेयं ॥
'६४२. पुढवी जलं च छाया,
चउरिंदिय-विसय कम्मपरमाणू । छव्विह-मेयं भणियं, पोग्गलदव्वं जिणवरेहिं ||
६४३. अंतादिमज्झहीणं अपदेसं इंदिएहिं ण ह गेज्झं । जं दव्वं अविभत्तं तं परमाणुं कहति जिणा ||
६४४. वण्ण-रस-गंध-फासे,
पूरण- गलणाइ सव्वकालम्हि । खंद इव कुणमाणा,
७३३
६४५. पाणेहिं चदुहिं जीवदि,
परमाणू पुग्गला तम्हा ॥
जीवस्सदि जो हु जीविदो पुव्वं । सो जीवो, पाणा पुण
बल - मिंदि - माउ उस्सासो ॥
अ. ३ : तत्त्व-दर्शन
जीवों और पुद्गलों में होनेवाले अनेक प्रकार के परिवर्तन या पर्यायें मुख्यतः कालद्रव्य के आधार से होती हैं। अर्थात् उनके परिणमन में कालद्रव्य निमित्त होता है। ( इसी को आगम में निश्चयकाल कहा जाता है | )
१. पृथ्वी अतिस्थूल का, जल स्थूल का, छाया-प्रकाश आदि इन्द्रिय-विषय स्थूल सूक्ष्म का रस-गंध-स्पर्श आदि
वीतराग ने बताया है कि व्यवहार काल समय, आवलिका, उच्छ्वास, प्राण, स्तोक आदि रूपात्मक है।
अणु और स्कंध के रूप में पुद्गल द्रव्य दो प्रकार का है। स्कंध छह प्रकार का है और परमाणु दो प्रकार का - (कारण परमाणु और कार्य - परमाणु ।)
स्कंध पुद्गल के छह प्रकार ये हैं-अतिस्थूल, स्थूल, स्थूलसूक्ष्म, सूक्ष्मस्थूल, सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म । पृथ्वी आदि इसके छह दृष्टांत हैं।
पृथ्वी, जल, छाया, नेत्र तथा शेष चार इंद्रियों के विषय, कर्म तथा परमाणु - इस प्रकार जिनेश्वर ने स्कंधपुद्गल के छह दृष्टांत दिये हैं।
जो आदि मध्य और अंत से रहित है, जो केवल अप्रदेशी है और जो इन्द्रियों द्वारा ग्राह्य नहीं है। वह विभागविहीन द्रव्य परमाणु है ।
जिसमें पूरण गलन की क्रिया होती है अर्थात् जो टूटता जुड़ता रहता है, वह पुद्गल है। स्कंध की भांति परमाणु के स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण गुणों में सदा पूरणगलन क्रिया होती रहती है, इसलिए परमाणु पुद्गल है।
जो चार प्राणों से वर्तमान में जीता है, भविष्य में जयेगा और अतीत में जिया है वह जीव द्रव्य है। प्राण चार हैं- बल, इन्द्रिय, आयु और उच्छ्वास ।
शेष इन्द्रिय-विषय सूक्ष्म स्थूल का, कार्मण- स्कंध सूक्ष्म का तथा परमाणु अतिसूक्ष्म का दृष्टांत है।