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समणसुत्तं
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अ. १ : ज्योतिर्मुख १६८. जागरहे नरा! निच्चं,
मनुष्यो! सतत जागृत रहो। जो जागता है उसकी __जागरमाणस्स वड्ढते बुद्धी। बुद्धि बढ़ती है। जो सोता है वह धन्य नहीं है। धन्य वह है जो सवहण सोधन्नो,
जो सदा जागता है। जो जग्गा सोसया धन्नो॥
१६९. आदाणे णिक्खेवे,
वोसिरणे ठाण-गमण-सयणेसु। सव्वत्थ अप्पमत्तो,
दयावरो होदि हु अहिंसओ॥
वस्तुओं के लेने-रखने, मल-मूत्र का विसर्जन करने, बैठने तथा चलने-फिरने और शयन करने में जो सदा अप्रमत्त रहता है, वही दयाल और अहिंसक होता है।
शिक्षा सूत्र
शिक्षा सूत्र
१७०. विवत्ती अविणीअस्स, संपत्ती विणीअस्स य।
जस्सेयं दुहओ नायं, सिक्खं से अभिगच्छह॥
अविनयी के ज्ञान आदि गुण नष्ट हो जाते हैं, यह उसकी विपत्ति है और विनयी को ज्ञान आदि गुणों की सम्प्राप्ति होती है, यह उसकी सम्पत्ति है। इन दोनों का ज्ञाता ही (ग्रहण और आसेवनरूप) सच्ची शिक्षा प्राप्त करता है।
१७१. अह पंचहिं ठाणेहिं, जेहिं सिक्खा न लब्बई।
थम्भा कोहा पमाएणं, रोगेणालस्सएण य॥
अभिमान, क्रोध, प्रमाद, रोग और आलस्य-इन पांच स्थानों (कारणों) से शिक्षा प्राप्त नहीं होती।
१७२. अह अट्ठहिं ठाणेहिं, सिक्खासीले त्ति वुच्चई। इन आठ स्थानों से मनुष्य को शिक्षाशील कहा जाता स्सिरे सया दंते. न य मम्ममदाहरे॥ है-१. हंसी-मजाक नहीं करना, २. सदा इन्द्रिय और मन
पर विजय प्राप्त करना ३. किसी का रहस्योद्घाटन न १७३. नासीले न विसीले, न सिया अइलोलए। करना, ४. अशील (सर्वथा आचारविहीन) न होना, ५. अकोहणे सच्चरए, सिक्खासीले त्ति वुच्चई॥ विशील (दोषों से कलंकित) न होना, ६. अति लोलुप न
होना, ७. अक्रोधी रहना तथा ८. सत्यरत होना।
१७४. नाणमेगग्गचित्तो य ठिओ ठावयई परं।
सुयाणि य अहिज्जित्ता, रओ सुय-समाहिए॥
अध्ययन के द्वारा व्यक्ति को ज्ञान होता है और चित्त की एकाग्रता होती है। वह स्वयं धर्म में स्थित होता है और दूसरों को भी स्थिर करता है तथा अनेक प्रकार के श्रुत का अध्ययन कर वह श्रुतसमाधि में रत हो जाता है।
१७५. बसे गुरुकुले निच्चं, जोगवं उवहाणवं।
पियंकरे पियंवाई, से सिक्खं लछुमरिहई॥
जो सदा गुरुकुल में वास करता है, जो समाधियुक्त होता है, जो उपधान (तप) करता है, जो प्रिय करता है और प्रिय बोलता है वह शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
१७६. जह दीवा दीव-सयं,पइप्पए सो य दिप्पए दीवो।
दीव-समा आयरिया, दिप्पंति परं च दीति॥
जैसे एक दीप से सैकड़ों दीप जल उठते हैं और वह स्वयं भी दीप्त रहता है, वैसे ही आचार्य दीपक के समान