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आत्मा का दर्शन
एवं एएणं अभिलावेणं लोहिया मंजिट्ठिया, पीतिया हालिद्दा, सुक्किलए संखे, सुब्भिगंधे कोट्ठे, दुब्भिगंधे मयगसरीरे, तित्ते निंबे, कडुया सुंठी, कसाए कविट्ठे, अंबा अंबिलिया, महुरे खंडे, कक्खडे वइरे, मउए नवणीए, गरुए अए, लहुए उलुयपत्ते, सीए हिमे, उसिणे अगणिकाए, ि तेल्ले |
६. छारिया णं भंते! पुच्छा ।
गोयमा ! एत्थ दो नया भवंति तं जहानेच्छयनए य वावहारियनए य । वावहारियनयस्स लुक्खा छारिया । नेच्छइयनयस्स पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता।
७. सत्त मूलणया पण्णत्ता, त जहा
गमे, संग, ववहारे, उज्जुसुते, सद्दे, समभिरूढे एवंभूते ।
८. दव्वट्ठियनयपयडी
पडिरूवे पुण वयणत्थ
९. मूलणिमेणं पज्जवतस्स उ साईआ
१०. नेगेहिं माणेहिं
सुद्धा संगहपरूवणाविसओ ।
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निच्छओ तस्स ववहारो ॥
गौतम ! इसकी वक्तव्यता दो नयों से होती है- १. नैश्चयिक नय २. व्यावहारिक नय ।
व्यावहारिक नय की अपेक्षा राख रूक्ष है। नैश्चयिकनय की अपेक्षा वह पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्श वाली है। नय के प्रकार
णयस्स उज्जुसुयवयणविच्छेदो ।
साहपसाहा सुहुमभेया ॥
खण्ड - ४
इसी प्रकार व्यावहारिक नय की अपेक्षा मजीठ लाल, हल्दी पीली, शंख सफेद, कोठा सुरभियुक्त, मृतक शरीर दुर्गन्धयुक्त, नीम तिक्त, सौंठ कटु, कैथ कसैला, इमली अम्ल, खांड मीठी, वज्र खुरदरा, नवनीत मृदु, लोह भारी,
ऊलुकपत्र हल्का, हिम शीत, अग्नि उष्ण, तैल स्निग्ध है।
मिrs त्ति नेगमस्स य निरुत्ती ।
११. संगहिय - पिंडियत्थं संगहवयणं समासओ बेंति । वच्चइ विणिच्छियत्थं ववहारो सव्वदव्वेसु ॥
हैं ?
भंते! राख में वर्ण, गंध, रस और स्पर्श कितने होते
मूल नय सात प्रज्ञप्त हैं।
१. नैगम, २. संग्रह, ३. व्यवहार, ४. ऋजुसूत्र, ५. शब्द, ६. समभिरूद, ७. एवंभूत ।
द्रव्यार्थिक नय की प्रकृति शुद्ध है। उसका विषय है - संग्रह (अभेद) की प्ररूपणा करना । प्रत्येक वस्तु के विषय में होने वाले पदार्थ का निश्चय संग्रह का व्यवहार है। संग्रह नय अपरिमित अभेद का ग्रहण करता है। व्यवहार नय उसका एक परिमित खंड है।
ऋजुसूत्र नय का वचन विभाग पर्यवनय का मूल आधार है। शब्द, समभिरूद और एवंभूत- ये तीन नय ऋजुसूत्र नय की ही उत्तरोत्तर सूक्ष्म भेदवाली शाखा - प्रशाखाएं हैं।
से
अनेक मानों - अभेद, भेद, संकल्प आदि दृष्टिकोणों वस्तु का मान अथवा ज्ञान करना, यह नैगम शब्द की निरुक्ति है।
संग्रह नय का वचन संगृहीत और पिंडित अर्थ का प्रतिपादन करता है। व्यवहार नय सब द्रव्यों के विषय में विनिश्चित अर्थ का प्रतिपादन करता है।