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नयवाद
१. तित्थयरवयणसंगह
तीर्थंकर के वचन सामान्य-विशेषात्मक होते हैं। इसके विसेसपत्थारमूलवागरणी। प्रतिनिधि नय दो हैं-द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक। द्रव्यार्थिक दव्वढिओ य पज्जव
नय का विषय है-सामान्य (अभेद) तथा पर्यायार्थिक नय णओ य सेसा वियप्पा सिं॥ का विषय है-विशेष (भेद)। द्रव्यार्थिक नय निश्चय नय
है और पर्यायार्थिक नय व्यवहार नय है। शेष नय दो नयों
के विकल्प हैं। निश्चयनय और व्यवहारनय
२. फाणियगुले णं भंते! कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते?, गोयमा! एत्थ णं दो नया भवंति, तं जहा- नेच्छइयनए य, वावहारियनए य वावहारियनयस्स गोड्डे फाणियगुले। नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे अट्ठफासे पण्णत्ते।
भंते! फाणित (राब) में वर्ण, गंध, रस और स्पर्श कितने होते हैं?
गौतम! इसकी वक्तव्यता दो नयों से होती है-१. नैश्चयिक नय २. व्यावहारिक नय।
व्यावहारिक नय की अपेक्षा फाणित मधुर है। नैश्चयिक नय के अनुसार वह पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और आठ स्पर्श वाला है।
३. भमरे णं भंते! कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे
कतिफासे पण्णत्ते? 'गोयमा! एत्य णं दो नया भवंति, तं जहानेच्छइयनए य वावहारियनए य। वावहारियनयस्स कालए भमरे। नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे जाव अठफासे पण्णत्ते।
भंते! भ्रमर में वर्ण. गंध, रस और स्पर्श कितने होते हैं?
गौतम! इसकी वक्तव्यता दो नयों से होती है-१. नैश्चयिक नय २. व्यावहारिक नय।
व्यावहारिक नय की अपेक्षा भ्रमर काला है। नैश्चयिक नय की अपेक्षा वह पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्शवाला है।
१. सयपिच्छे णं भंते! कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे
कतिफासे पण्णत्ते?
भंते! तोते के पंख में वर्ण, गंध, रस और स्पर्श कितने होते हैं? .
५. एवं चेव, नवरं वावहारियनयस्स नीलए
सुयपिच्छे। नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे जाव अट्ठफासे पण्णत्ते।
गौतम! इसकी वक्तव्यता दो नयों से होती है-१. नैश्चयिक नय २. व्यावहारिक नय।
व्यावहारिक नय की अपेक्षा तोते का पंख नीला है। नैश्चयिक नय की अपेक्षा वह पांच वर्ण यावत् आठ स्पर्शवाला है।