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आत्मा का दर्शन
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खण्ड-४
३. असुभे णाममेगे सुभविवागे
३. कुछ कर्म अशुभ होते हैं, पर उनका विपाक शुभ ___होता है। ४. कुछ कर्म अशुभ होते हैं और उनका विपाक भी
अशुभ होता है।
४. असुभे णाममेगे असुभविवागे।
३८.चउविहे णिधत्ते पण्णत्ते, तं जहा- .
१. पगतिणिधत्ते २. ठितिणिधत्ते ३. अणुभावणिधत्ते ४. पएसणिधत्ते।
निधत्त के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं१. प्रकृति निधत्त २. स्थिति निधत्त ३. अनुभाव निधत्त ४. प्रदेश निधत्त।
३९.चउविहे णिगायिते पण्णत्ते, तं जहा
१. पगतिणिगायिते २. ठितिणिगायिते ३. अणुभावणिगायिते ४. पएसणिगायिते।
निकाचित के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं१. प्रकति निकाचित २. स्थिति निकाचित ३. अनुभाव निकाचित ४. प्रदेश निकाचित ..
एवंभूत वेदना-अनेवंभूत वेदना ४०.अण्णउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खंति जाव भंते! अन्ययूथिक इस प्रकार आख्यान करते हैं यावत् परूवेंति-सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे प्ररूपणा करते हैं सब प्राण, सब भूत, सब जीव और सब सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति।
सत्त्व एवंभूत (जिस प्रकार कर्मों का बन्धन होता है उसी
प्रकार कर्मों का वेदन करना) वेदना का अनुभव करते हैं। से कहमेयं भंते! एवं?
भंते! यह वक्तव्य कैसा है? गोयमा! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति गौतम! वे अन्यूयथिक इस प्रकार आख्यान करते हैं जाव सव्वे सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति। जे ते यावत् सब सत्त्व एवंभूत वेदना का अनुभव करते हैं, जो वे एवमाहंसु, मिच्छं ते एवमाहंसु। अहं पुण गोयमा! ऐसा कहते हैं वे मिथ्या कहते हैं। गौतम ! मैं इस प्रकार एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-अत्थेगइया पाणा आख्यान करता हूं यावत् प्ररूपणा करता हूं-कुछ प्राण, भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, अत्थेगइया भूत, जीव और सत्त्व एवंभूत वेदना, का अनुभव करते हैं, पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति। कुछ प्राण, भूत, जीव और सत्त्व अनेवंभूत (कर्मों के बन्धन
में परिवर्तन लाकर) वेदना का अनुभव करते हैं। से केणठेणं भंते! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया पाणा भंते! यह किस अपेक्षा से कहा जा रहा है-कुछ प्राण, भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, अत्थेगइया भूत, जीव और सत्त्व एवंभूत वेदना का अनुभव करते हैं, पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति? कुछ प्राण, भूत, जीव और सत्त्व अनेवंभूत वेदना का अनुभव
करते हैं? गोयमा! जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा गौतम! जो प्राण, भूत, जीव और सत्त्व जैसे कर्म किए कम्मा तहा वेदणं वेदेति, ते णं पाणा भूया जीवा वैसे ही वेदना का अनुभव करते हैं, वे प्राण, भूत, जीव और सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति।।
सत्त्व एवंभूत वेदना का अनुभव करते हैं। जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा नो ___जो प्राण, भूत, जीव और सत्त्व जैसे कर्म किए वैसे तहा वेदणं वेदेति, ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता वेदना का अनुभव नहीं करते हैं, वे प्राण, भूत जीव और अणेवंभूयं वेदणं वेदेति।
सत्त्व अनेवंभूत वेदना का अनुभव करते हैं। से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया पाणा गौतम ! इस अपेक्षा से यह कहा जा रहा है-कुंछ प्राण,