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________________ प्रायोगिक दर्शन अ. १३ : कर्मवाद ४. पदेसउदीरणोवक्कमे। ४. प्रदेश उदीरणा उपक्रम। ३२.उवसामणोवक्कमे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा १. पगतिउवसामणोवक्कम २. ठितिउवसामणोवक्कमे ३. अणुभावउवसामणोवक्कम ४. पदेसउवसामणोवक्कमे उपशमन उपक्रम के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं१. प्रकृति उपशमन उपक्रम २. स्थिति उपशमन उपक्रम ३. अनुभाव उपशमन उपक्रम ४. प्रदेश उपशमन उपक्रम ३३.विप्परिणामणोवक्कमे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा १. पगतिविप्परिणामणोवक्कमे २. ठितिविप्परिणामणोवक्कमे ३. अणुभावविप्परिणामणोवक्कमे ४. पएसविप्परिणामणोवक्कमे। विपरिणामन उपक्रम के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं१. प्रकृति विपरिणामन उपक्रम २. स्थिति विपरिणामन उपक्रम ३. अनुभाव विपरिणामन उपक्रम ४. प्रदेश विपरिणामन उपक्रम ३४.चउब्विहे अप्पाबहुए पण्णत्ते, तं जहा १. पगतिअप्पाबहुए २. ठितिअप्पाबहुए ३. अणुभावअप्पाबहुए ४. पएसअप्पाबहुए। अल्पबहुत्व के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं१. प्रकृति अल्पबहुत्व २. स्थिति अल्पबहुत्व ३. अनुभाव अल्पबहुत्व ३. प्रदेश अल्पबहुत्व ३५.चउब्विहे संकमे पण्णत्ते, तं जहा १. पगतिसंकमे २. ठितिसंकमे ३. अणुभावसंकमे ४. पएससंकमे। संक्रम के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं१. प्रकृति संक्रम २. स्थिति संक्रम ३. अनुभाव संक्रम ४. प्रदेश संक्रम ३६. चउब्विहे कम्मे पण्णत्ते, तं जहा• : १. सुभे णाममेगे सुभे २. सुभे णाममेगे असुभे कर्म के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं१.कुछ कर्म शुभ-पुण्य प्रकृति वाले होते हैं और उनका - अनुबंध भी शुभ होता है। २. कुछ कर्म शुभ होते हैं, पर उनका अनुबंध अशुभ होता है। ३. कुछ कर्म अशुभ होते हैं, पर उनका अनुबन्ध शुभ होता है। ४. कुछ कर्म अशुभ होते हैं और उनका अनुबन्ध भी अशुभ होता है। ३. असुभे णाममेगे सुभे ४. असुभे णाममेगे असुभे। ३७.चव्विहे कम्मे पण्णत्ते, तं जहा १. सुभे णाममेगे सुभविवागे कर्म के चार प्रकार प्रज्ञप्त हैं१. कुछ कर्म शुभ होते हैं और उनका विपाक भी शुभ होता है। २. कुछ कर्म शुभ होते हैं, पर उनका विपाक अशुभ होता है। २. सुभे णाममेगे असुभविवागे
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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