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आत्मा का दर्शन ६०८
खण्ड-४ ५. आयके से वहाए होति, संकप्पे से वहाए होति, जैसे जीव आतंक, संकल्प और मरण के पुद्गलों को
मरणंते से वहाए होति तहा-तहा णं ते पोग्गला ग्रहण करते हैं और वे पुद्गल आतंक, संकल्प और मरण परिणमंति नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो। के रूप में परिणत होते हैं, वैसे ही जीव कर्म प्रायोग्य
पुद्गलों का ग्रहण करते हैं और वे कर्म रूप में परिणत होते हैं, अतः यह पक्ष सही है कि कर्म अचैतन्यकृत नहीं
होते हैं, आयुष्मन् श्रमण।। ६. से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-जीवाणं चेयकडा गौतम! इसलिए यह कहा जा रहा है कि जीवों के कर्म कम्मा कज्जंति, नो अचेयकडा कम्मा कज्जंति। चैतन्यकृत होते हैं, अचैतन्यकृत नहीं होते।
पाप का पौद्गलिकत्व ७. अह भंते! पाणाइवाए, मुसावाए, अदिण्णादाणे, भंते! प्राणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन और
मेहुणे, परिग्गहे-एस णं कतिवण्णे, कतिगंधे, परिग्रह में कितने वर्ण, गंध, रस और स्पर्श होते हैं ?. . कतिरसे, कतिफासे पण्णत्ते? गोयमा! पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, चउफासे गौतम! पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श पण्णत्ते।
होते हैं।
भंते! क्रोध में कितने वर्ण, गंध, रस और स्पर्श होते
८. अह भंते! कोहे.......एस णं कतिवण्णे जाव
कतिफासे पण्णत्ते? गोयमा! पचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, चउफासे पण्णत्ते?
गौतम! पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श होते हैं।
भंते! मान में कितने वर्ण, गंध. रस और स्पर्श होते हैं?
९. अह भंते! माणे....एस णं कतिवण्णे जाव
कतिफासे पण्णत्ते? गोयमा! पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, चउफासे पण्णत्ते।
गौतम! पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श होते हैं।
____भंते! माया में कितने वर्ण, गंध, रस और स्पर्श होते
१०.अह भंते! माया........एस णं कतिवण्णे जाव
कतिफासे पण्णत्ते? गोयमा! पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, चउफासे पण्णत्ते।
गौतम! पांच वर्ण, दो गंध. पांच रस और चार स्पर्श होते हैं।
भंते! लोभ में कितने वर्ण, गंध, रस और स्पर्श होते
११.अह भंते! लोभे........एस णं कतिवण्णे जाव
कतिफासे पण्णत्ते? गोयमा! पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, चउफासे पण्णत्ते।
गौतम ! पांच वर्ण, दो गंध, पांच रस और चार स्पर्श होते हैं।
१२.अह भंते! पेज्जे, दोसे, कलहे, अभक्खाणे,
भंते! प्रेय, द्वेष, कलह, अभ्याख्यान, पैशुन्य,