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________________ प्रायोगिक दर्शन ५३७ अ.९ : धर्म मोक्ष का साधक तत्त्व-तपोयोग २४.जहा महातलायस्स सन्निरुद्धे जलागमे। जल सूखने के तीन उपाय हैंउस्सिंचणाए तवणाए कमेणं सोसणा भवे॥ १. जल आने के मार्ग को रोकना। २. जल को उलीचना। ३. सूर्य का ताप। २५.अवकोटासचिर्यजस्म वित्त २५.एवं तु संजयस्सावि पावकम्मनिरासवे। भवकोडीसंचियं कम्मं तवसा निजरिज्जइ॥ जिस प्रकार कोई बड़ा तालाब इन उपायों से सूख जाता है, उसी प्रकार संयमी पुरुष पाप कर्म आने के मार्ग का निरोध कर करोड़ों भवों के संचित कर्म तपस्या द्वारा निर्जीर्ण कर देता है। २६.सो तवो दुविहो वुत्तो बाहिरब्भन्तरो तहा। __बाहिरो छव्यिहो वुत्तो एवमब्भन्तरो तवो॥ तप के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं-१. बाह्य । २. आभ्यन्तर। बाह्य तप के छह प्रकार हैं, इसी प्रकार आभ्यंतर तप के भी छह प्रकार हैं। बाह्य तप २७.अणसणमूणोयरिया, बाह्य तप के छह प्रकार हैं-१. अनशन-उपवास भिक्खायरिया य रसपरिच्चाओ। आदि तप। २. ऊनोदरी-कम खाना, उपकरण आदि की कायकिलेसो संलीणया । अल्पता करना। ३. भिक्षाचर्या-अभिग्रह-आहार प्राप्ति के य बज्झो तवो होइ॥ स्रोतों का संकोच। ४. रस परित्याग। ५. कायक्लेश कायसिद्धि। ६. संलीनता। अनशन २८.अणसणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-इत्तरिए य। . आवकहिए य। अनशन के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं-१. इत्वरिक (अल्पकालिक)। २. यावत्कथिक (आजीवन)। ऊनोदरी २९.ओमोदरियाओ दुविहा पण्णत्ता, तं जहा उवगरणदव्वोमोदरिया य। भत्तपाणदव्योमोदरिया य। भावोमोदरिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहाअप्पकोहे, अप्पमाणे, अप्पमाए, अप्पलोहे, अप्पसहे, अप्पझंझे। द्रव्य ऊनोदरी के दो प्रकार प्रज्ञप्त हैं१. उपकरण द्रव्य ऊनोदरी। २. भक्तपान द्रव्य ऊनोदरी। भाव ऊनोदरी के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त हैं। जैसे-क्रोध की अल्पता, मान की अल्पता, माया की अल्पता, लोभ की अल्पता, भाषा की अल्पता, कलह की अल्पता। भिक्षाचर्या ३०.भिक्खायरिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहावव्वाभिग्गहचरए, खेत्ताभिग्गहचरए, काला- भिग्गहचरए, भावाभिग्गहचरए। भिक्षाचर्या के अनेक प्रकार प्रज्ञप्त हैं, जैसे-द्रव्य विषयक अभिग्रह, क्षेत्र विषयक अभिग्रह, काल विषयक अभिग्रह, भाव विषयक अभिग्रह।
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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