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आत्मा का दर्शन
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खण्ड-४
२. दंसणट्ठयाए ३. चरित्तट्ट्याए ४. वुग्गहविमोयणट्ठयाए
२. दर्शन-तत्त्वरुचि को पुष्ट करने के लिए। ३. चारित्र-आचार विशुद्धि के लिए।
४. व्युद्ग्रह विमोचन-दूसरों को मिथ्या अभिनिवेश से मुक्त करने के लिए।
५. यथार्थ भावों को जानने के लिए।
५. अहत्थे वा भावे जाणिस्सामीति कट्ट।
शिक्षार्थी की अर्हता ६. अह अट्ठहिं ठाणेहिं सिक्खासीले त्ति वुच्चई। आठ हेतुओं से व्यक्ति शिक्षाशील कहलाता है
अहस्सिरे सया दंते न य मम्ममुदाहरे॥ १. हास्यशील नहीं होता। २. इन्द्रिय और मन पर नासीले न विसीले न सिया अइलोलुए। सदा नियंत्रण रखता है। ३. मर्म प्रकाशन नहीं करता। ४. अकोहणे सच्चरए सिक्खासीले त्ति वुच्चई। शील रहित नहीं होता। ५. शील के दोषों से कलुषित नहीं
होता। ६. अतिलोलुप नहीं होता। ७. क्रोध नहीं करता। ८. सत्य में रत रहता है।
७. विवत्ती अविणीयस्स संपत्ती विणीयस्स य।
जस्सेयं दुहओ नायं सिक्खं से अभिगच्छइ।।
"अविनीत के विपत्ति और विनीत के सम्पत्ति होती है-ये दोनों जिसे ज्ञात हैं, वही शिक्षा को प्राप्त होता है।
८. वसे गुरुकुले निच्चं जोगवं उवहाणवं। जो सदा गुरुकुल में वास करता है, योगवान और : पियंकरे पियंवाई से सिक्खं लद्धमरिहई। तपस्वी होता है, मृदु व्यवहार करता है, मृदु बोलता है,
वह शिक्षा प्राप्त कर सकता है। ''
शिक्षा के बाधक तत्त्व ९. अह पंचहिं ठाणेहिं जेहिं सिक्खा न लब्भई। अभिमान, क्रोध, प्रमाद, रोग और आलस्य ये पांच __ थंभा कोहा पमाएणं रोगेणाऽलस्सएण य॥ शिक्षा के विघ्न हैं। इनके होते हुए शिक्षा उपलब्ध नहीं
होती।
१०.अह चउदसहिं ठाणेहिं वट्टमाणे उ संजए।
अविणीए वुच्चई सो उ निव्वाणं च न गच्छई।
निम्न निर्दिष्ट चवदह प्रवृत्तियों का आसेवन करने वाला अविनीत-शिक्षा के अयोग्य कहलाता है। वह निर्वाण-मानसिक शांति को प्राप्त नहीं होता
अभिक्खणं कोही हवइ पबंधं च पकुव्वई। मेत्तिज्जमाणो वमइ सुयं लभ्रूण मज्जई। अवि पावपरिक्खेवी अवि मित्तेसु कुप्पई। सुप्पियस्सावि मित्तस्स रहे भासइ पावगं। पइण्णवाई दुहिले थद्धे लुद्धे अणिग्गहे। असंविभागी अचियत्ते अविणीए त्ति वुच्चई।
१. जो बार-बार क्रोध करता है।२. क्रोध को टिकाकर रखता है। ३. मैत्री रखने वाले के साथ भी अमैत्रीपूर्ण व्यवहार करता है। ४. ज्ञान का मद करता है। ५. किसी की स्खलना होने पर उसका तिरस्कार करता है। ६. मित्रों पर कुपित होता है। ७. प्रियता रखने वाले मित्र की भी एकांत में बुराई करता है। ८. असंबद्धभाषी है। ९. द्रोही है। १०. अभिमानी है। ११. लुब्ध है। १२. जितेन्द्रिय