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________________ शिक्षा १. सिद्धाणं नमो किच्चा , संजयाणं च भावओ। . अत्यधम्मगई तच्चं अणुसदिळं सुणेह मे॥ सिद्धों और संयत-आत्माओं को भावभरा नमस्कार कर मैं अर्थ (साध्य) और धर्म का ज्ञान करानेवाली तथ्यपूर्ण अनुशासना का निरूपण करता हूं। वह मुझसे सुनो। २. सिक्खा दुविहा १. गहणसिक्खा २. आसेवणसिक्खा य। शिक्षा के दो प्रकार हैं१. ग्रहण शिक्षा-ज्ञानात्मक शिक्षा। २. आसेवन शिक्षा-प्रयोगात्मक शिक्षा। ३. चउव्विहा खलु सुयसमाही भवइ, तं जहा श्रुत एक समाधि-समाधान है। उसके चार उद्देश्य हैं१. सुयं मे भविस्सइ त्ति अज्झाइयव्वं भवइ। १. मुझे ज्ञान प्राप्त होगा, इसलिए मुझे पढ़ना चाहिए। .. २. एगग्गचित्तो भविस्सामि त्ति अज्झाइयव्वं २. मैं एकाग्रचित्त बनूंगा, इसलिए मुझे पढ़ना चाहिए। भवइ। ३. अप्पाणं ठावइस्सामि त्ति अज्झाइयव्वं भवइ। ३. मैं अपने आपको स्थिर बनाऊंगा, इसलिए मुझे पढ़ना चाहिए। ४. ठिओ परं ठावइस्सामि त्ति अज्झाइयव्वं भवइ। ४. मैं स्थिर होकर दूसरों को स्थिर बनाऊंगा, इसलिए मुझे पढ़ना चाहिए। श्रुत अध्यापन के उद्देश्य ४. पंचहिं ठाणेहिं सुत्तं वाएज्जा, तं जहा आगम सूत्र की वाचना (अध्यापन) के पांच उद्देश्य १. संगठ्याए १. संग्रह-शिष्यों को श्रुतसंपन्न करने के लिए। २. उवग्गहृट्ठयाए २. उपग्रह-भक्तपान व उपकरण प्राप्ति की क्षमता उत्पन्न करने के लिए। ३. णिज्जरट्ठयाए ३. निर्जरा-आत्मविशुद्धि के लिए। ४. सुत्ते वा मे पज्जवयाते भविस्सति ४. ज्ञान की निर्मलता बढ़ाने के लिए। ५. सुत्तस्स वा अवोच्छित्तिणयट्ठयाए। ५. श्रुतपरंपरा को अविच्छिन्न रखने के लिए। श्रुत अध्ययन के उद्देश्य ५. पंचहि ठाणेहिं सुत्तं सिक्खेज्जा, तं जहा श्रुत अध्ययन के पांच उद्देश्य हैं१. णाणट्ठयाए १. ज्ञान-अभिनव तत्त्वों की उपलब्धि के लिए।
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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