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________________ प्रायोगिक दर्शन २८. थेरस्स णं अज्जसेज्जंभवस्स मणगपिउणो वच्छसगोत्तस्स । अज्जजसभद्दे थेरे अंतेवासी 'तुंगियायणसगोत्ते । ५०९ २९. संखित्तवायणाए अज्जजसभद्दाओ अग्गओ एवं रावली भणिया, तं जहा थेरस्स णं अज्जजसभइस्स तुंगियायणसगोत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा-थेरे अज्जसंभूयविजए माढरसगोत्ते, थेरे अज्जभद्दबाहू पाईणसगोत्ते । ३०. रस्स णं अज्जसंभूयविजयस्स मांढरसगोत्तस्स . अंतेवासी थेरे अज्जथूलभद्दे गोयमसगोत्ते । ३१. थेरस्स णं अज्जथूलभहस्स गोयमसगोत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा- थेरे अज्जमहागिरी एलावच्चसगोते, थेरे अज्जसुहत्थी वासिट्ठसग़ोत्ते । ३२. रस्स णं अज्जसुहत्थिस्स वासिट्ठसगोत्तस्स अंतेवासी दुवे थेरा - सुट्ठियसुप्पडिबुद्धा कोडिय - काकंदगा वग्धावच्चसगोत्ता । ३३. थेराणं सुट्ठियसुप्पडिबुखाणं कोडिय-काकंदगाणं वग्धावच्चसगोत्ताणं अंतेवासी थेरे अज्जइंददिने कोसियगोत्ते । ३४. थेरस्स णं अज्जइंददिन्नस्स कोसियगोत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जदिने गोयमसगोत्ते । ३५. थेरस्स णं अज्जदिन्नस्स गोयमसगोत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जसीहगिरी जाइस्सरे कोसियगोत्ते । ३६. थेरस्स णं अज्जसीहगिरिस्स जाइसरस्स कोसियगोत्तस्स अंतेवासी थेरे अज्जवइरे गोयमसगोत्ते । अ. ७ : जिनशासन वत्सगोत्रीय मुनि मनक के पिता स्थविर आर्य शय्यंभव के अंतेवासी शिष्य हुए स्थविर आर्य यशोभद्र । उनका गोत्र था तुंगियायण । संक्षिप्त वाचना के अनुसार आर्य यशोभद्र से आगे स्थविरावलि इस प्रकार है तुंगियायणगोत्रीय आर्य यशोभद्र के दो अंतेवासी शिष्य हुए-आर्य संभूतिविजय और आर्य भद्रबाहु । आर्य संभूतिविजय का गोत्र था माठर और आर्य भद्रबाहु का गोत्र था प्राचीन । माठरगोत्रीय आर्य संभूतविजय के अंतेवासी शिष्य हुए स्थविर आर्य स्थूलभद्र । उनका गोत्र था गौतम । गौतमगोत्रीय आर्य स्थूलभद्र के दो अंतेवासी शिष्य हुए स्थविर आर्य महागिरि और स्थविर आर्य सुहस्ति । आर्यमहागिरि का गोत्र था एलापत्य और आर्य सुहस्ति का गोत्र था वाशिष्ठ | वाशिष्ठगोत्रीय आर्य सुहस्ति के दो अंतेवासी शिष्य हुएस्थविर सुस्थित और स्थविर सुप्रतिबुद्ध। ये दोनों कोडियकाकंदक कहलाते थे। इन दोनों का गोत्र था व्याघ्रापत्य । व्याघ्रापत्यगोत्रीय, कोडिय - काकंदक स्थविर सुस्थित और सुप्रतिबुद्ध के अंतेवासी शिष्य हुए स्थविर आर्य इन्द्रदत्त | उनका गोत्र था कौशिक | कौशिकगोत्रीय आर्य इन्द्रदत्त के अंतेवासी शिष्य हुए स्थविर आर्य दत्त | उनका गोत्र था गौतम । गौतमगोत्रीय आर्य दत्त के अंतेवासी शिष्य हुए स्थविर आर्य सिंहगिरि । उनका गोत्र था कौशिक | उन्हें जातिस्मरणज्ञान था। जातिस्मरणज्ञान से सम्पन्न, कौशिकगोत्रीय स्थविर आर्य सिंहगिरि के अंतेवासी शिष्य हुए आर्य वज्र । उनका गोत्र था गौतम |
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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