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________________ आत्मा का दर्शन ४६८ खण्ड-१ २. तक्करप्पओगे २. तस्करप्रयोग-चोरी करने में सहयोग देना। ३. विरुद्धरज्जातिक्कमे ३. विरुद्धराज्यातिक्रम-राज्यनिषिद्ध वस्तुओं का आयात-निर्यात करना। ४. कूडतुल-कूडमाणे ४. कूटतोल-कूटमान-झूठा तोल-माप करना। ५. तप्पडिरूवगववहारे। ५. तत्प्रतिरूपक व्यवहार-असली वस्तु के स्थान पर नकली वस्तु देना। स्वदारसंतोष व्रत के अतिचार ६७.....सदार'-संतोसीए समणोवासएणं पंच श्रमणोपासक के लिए स्वदारसंतोषव्रत के पांच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा. तं जहा- अतिचार ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं१. इत्तरियपरिग्गहियागमणे १. इत्वरिकपरिगृहीतागमन-परस्त्रीगमन करना। २. अपरिग्गहियागमणे २. अपरिगृहीतागमन वेश्यागमन करना। ३. अणंगकिड्डा ३. अनंगक्रीड़ा-अप्राकृतिक मैथुन सेवन करना। . ४. परवीवाहकरणे ४. परविवाहकरण-व्यावसायिक वृत्ति से विवाह संबंध जोड़ना। ५. कामभोगे तिव्वाभिलासे।' ५. कामभोगतीव्राभिलाषा-काम-भोग की तीव्र इच्छा करना। इच्छापरिमाण व्रत के अतिचार ६८.....इच्छापरिमाणस्स समणोवासएणं पंच श्रमणोपासक के लिए इच्छापरिमाणव्रत के पांच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा- अतिचार ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं१. खेत्तवत्थुपमाणातिक्कमे १. क्षेत्रवास्तुप्रमाणातिरेक-खेत और घर के प्रमाण का अतिक्रमण करना। २. हिरण्णसुवण्णपमाणातिक्कमे २. हिरण्यसुवर्णप्रमाणातिरेक-हिरण्य और सुवर्ण के प्रमाण का अतिक्रमण करना। ३. धणधण्णपमाणातिक्कमे ३. धनधान्यप्रमाणातिरेक-धन और धान्य के प्रमाण का अतिक्रमण करना। ४. दुप्पयचउप्पयमाणातिक्कमे ४. द्विपदचतुष्पदप्रमाणातिरेक-नौकर, पक्षी, पशु आदि के प्रमाण का अतिक्रमण करना। . ५. कुवियपमाणातिक्कमे। ५. कुप्यप्रमाणातिरेक-गृहसामग्री के प्रमाण का अतिक्रमण करना। दिव्रत के अतिचार ६९.....दिसिवयस्स समणोवासएणं पंच अतियारा श्रमणोपासक के लिए दिव्रत के पांच अतिचार जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं१. उड्ढदिसिपमाणातिक्कमे। १. ऊर्ध्वदिशा के परिमाण का अतिक्रमण। २. अहोदिसिपमाणातिक्कमे। २. अधोदिशा के परिमाण का अतिक्रमण। . ३. तिरियदिसिपमाणातिक्कमे। ३. तिर्यदिशा के परिमाण का अतिक्रमण। ४. खेत्तवुड्ढी। ४. एक दिशा का परिमाण घटाकर, दूसरी दिशा के १. प्रस्तुत संदर्भ में जहां स्त्री का प्रसंग हो, वहां पुरुष को ग्रहण करना चाहिए।
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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