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________________ प्रायोगिक दर्शन ४६७ अ. ४ : सम्यक्चारित्र १.संका २. कंखा ३. वितिगिच्छा ४. परपासंडपसंसा १. शंका-तत्त्व के विषय में संदेह करना। २. कांक्षा-प्रदर्शन आदि से प्रभावित होकर कुमत को स्वीकार करने की इच्छा करना। ३. विचिकित्सा-धर्म के फल में संदेह करना। ४. परपाषंडप्रशंसा-परपाषंड-एकांतवादी मतों की प्रशंसा करना। ५. परपाषंडंसंस्तव-परपाषंड-एकांतवादी मतों से संपर्क रखना। ५. परपासंडसंथवो। अहिंसा अणुव्रत के अतिचार ६४....थूलयस्स पाणाइवायवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा.. १. बंधे श्रमणोपासक के लिए स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रत के पांच अतिचार ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं २. वहे . ३. छविच्छेदे . ४. अतिभारे ५. भत्तपाणवोच्छेदे। १. बंध-मनुष्य, पशु आदि को गाढ बंधन से बांधना। २. वध-लाठी आदि से प्रहार करना। ३. छविच्छेद-अंग-भंग करना। ४. अतिभार-अतिभार लादना। ५. भक्तपानव्यवच्छेद-भोजन पानी (आजीविका) का विच्छेद करना। सत्य अणुव्रत के अतिचार ६५....थूलयस्स मुसावायवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा... १. सहसाभक्खाणे श्रमणोपासक के लिए स्थूल मृषावाद विरमणव्रत के पांच अतिचार ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं २. रहस्सब्भक्खाणे ३. सदारमंतभोए १. सहसाभ्याख्यान-बिना सोचे-समझे अकस्मात् किसी पर आरोप लगाना। २. रहसाभ्याख्यान-रहस्यपूर्ण वृत्त के आधार पर आरोप लगाना। ३. स्वदारमंत्रभेद-अपनी पत्नी के रहस्य को प्रकट करना। ४. मृषोपदेश-गलत पथदर्शन करना। ५. कूटलेखकरण-जाली हस्ताक्षर और दस्तावेज तैयार करना। . . .. ४. मोसोवएसे ५. कूडलेहकरणे। अचौर्य अणुव्रत के अतिचार ६६.....थूलयस्स अदिण्णादाणवेरमणस्स समणो- वासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा१. तेणाहडे श्रमणोपासक के लिए स्थूल अदत्तादानविरमणव्रत के पांच अतिचार ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं १. स्तेनाहृत-चोर द्वारा चुराई हुई वस्तु लेना।
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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