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प्रायोगिक दर्शन
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अ. ४ : सम्यक्चारित्र
१.संका २. कंखा
३. वितिगिच्छा ४. परपासंडपसंसा
१. शंका-तत्त्व के विषय में संदेह करना।
२. कांक्षा-प्रदर्शन आदि से प्रभावित होकर कुमत को स्वीकार करने की इच्छा करना।
३. विचिकित्सा-धर्म के फल में संदेह करना।
४. परपाषंडप्रशंसा-परपाषंड-एकांतवादी मतों की प्रशंसा करना।
५. परपाषंडंसंस्तव-परपाषंड-एकांतवादी मतों से संपर्क रखना।
५. परपासंडसंथवो।
अहिंसा अणुव्रत के अतिचार ६४....थूलयस्स पाणाइवायवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं
जहा.. १. बंधे
श्रमणोपासक के लिए स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रत के पांच अतिचार ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं
२. वहे . ३. छविच्छेदे . ४. अतिभारे ५. भत्तपाणवोच्छेदे।
१. बंध-मनुष्य, पशु आदि को गाढ बंधन से बांधना।
२. वध-लाठी आदि से प्रहार करना। ३. छविच्छेद-अंग-भंग करना। ४. अतिभार-अतिभार लादना।
५. भक्तपानव्यवच्छेद-भोजन पानी (आजीविका) का विच्छेद करना।
सत्य अणुव्रत के अतिचार ६५....थूलयस्स मुसावायवेरमणस्स समणोवासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं
जहा... १. सहसाभक्खाणे
श्रमणोपासक के लिए स्थूल मृषावाद विरमणव्रत के पांच अतिचार ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं
२. रहस्सब्भक्खाणे
३. सदारमंतभोए
१. सहसाभ्याख्यान-बिना सोचे-समझे अकस्मात् किसी पर आरोप लगाना।
२. रहसाभ्याख्यान-रहस्यपूर्ण वृत्त के आधार पर आरोप लगाना।
३. स्वदारमंत्रभेद-अपनी पत्नी के रहस्य को प्रकट करना।
४. मृषोपदेश-गलत पथदर्शन करना।
५. कूटलेखकरण-जाली हस्ताक्षर और दस्तावेज तैयार करना। .
. .. ४. मोसोवएसे
५. कूडलेहकरणे।
अचौर्य अणुव्रत के अतिचार ६६.....थूलयस्स अदिण्णादाणवेरमणस्स समणो- वासएणं पंच अतियारा जाणियव्वा, न समायरियव्वा, तं जहा१. तेणाहडे
श्रमणोपासक के लिए स्थूल अदत्तादानविरमणव्रत के पांच अतिचार ज्ञातव्य हैं, आचरणीय नहीं हैं
१. स्तेनाहृत-चोर द्वारा चुराई हुई वस्तु लेना।