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________________ आत्मा का दर्शन खण्ड-२ देती, परन्तु उनके समुदय में मदशक्ति प्रकट हो जाती है। इसी प्रकार पृथ्वी, पानी आदि अलग-अलग भूतों में चैतन्य शक्ति दिखाई नहीं देती, उनके समुदाय में वह दृष्ट हो जाती है। २२. जध मज्जंगेसु मदो वीसुमदिट्ठो वि समुदये होतुं। कालंतरे विणस्सति तध भूतगणम्मि चेतण्णं॥ मद्य के प्रत्येक अवयव में मदशक्ति नहीं होती,समुदाय में वह हो जाती है और कालान्तर में विनष्ट हो जाती है। उसी प्रकार प्रत्येक भूत में अदृष्ट चैतन्य भूतसमुदाय में दृष्ट होता है और कालांतर में वह विनष्ट हो जाता है। २३. पत्तेयमभावातो ण रेणुतेल्लं वा समुदये चेता। मज्जंगेसुं तु मतो - मद्य के प्रत्येक अवयव में मदशक्ति नहीं है तो वह । उनके समुदित होने पर भी नहीं हो सकती जैसे बालू के एक-एक कण में तैल नहीं होता, वैसे ही उनका समुदाय होने पर भी वह नहीं होता। वीसुं पि ण सव्वसो णत्थि॥ २४. छिण्णम्मि संसयम्मी जिणेण जरमरणविप्पमुक्केणं। सो समणो पव्वइतो पंचहि सह खंडियसएहिं॥ जरा और मृत्यु से मुक्त महावीर की वाणी सुन वायुभूति का संशय छिन्न हो गया। उसने अपने ५०० शिष्यों के साथ भगवान महावीर के पास प्रव्रज्या स्वीकार कर ली। गणधर व्यक्त २५. ते पव्वइते सोतुं वियत्तो आगच्छति जिणसगासं। इन्द्रभूति, अग्निभूति और वायुभूति प्रव्रजित हो गए, वच्चामि णं वंदामि वंदित्ता पन्जुवासामि॥ यह सुनकर चतुर्थ पंडित व्यक्त ने सोचा-मैं भी महावीर के पास जाऊं, वंदना करूं औरउमकी पर्युपासना करूं। २६. आभट्ठो य जिणेणं जातिजरामरणविप्पमुक्केणं। णामेण य गोत्तेण य सव्वण्णू सव्वदरिसी णं॥ जन्म, जरा और मृत्यु से मुक्त, सर्वज्ञ और सर्वदर्शी महावीर ने उसे आया देख नाम और गोत्र से संबोधित कर कहा २७. किं मण्णे पंचभूता अत्थि व णत्थि त्ति संसयो तुज्झ। व्यक्त! तुम्हारे मन में यह संशय है कि पांच भूतों का अस्तित्व है या नहीं? २८. भूतातिसंसयातो __ जीवातिसु का कध त्ति ते बुद्धी। तं सव्वसुण्णसंकी मण्णसि मायोवमं लोयं॥ भूत आदि प्रत्यक्ष पदार्थों के विषय में भी जब तुम संदिग्ध हो तो फिर जीव आदि परोक्ष पदार्थों का ज्ञान तुम्हें कैसे होगा? इसीलिए ही तुम शून्यवाद को स्वीकार कर विश्व को इन्द्रजाल के समान मानते हो। .
SR No.002210
Book TitleAatma ka Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Vishva Bharti
PublisherJain Vishva Bharti
Publication Year2008
Total Pages792
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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