________________
आत्मा का दर्शन
खण्ड-२
किं तत्सूक्ष्म?
स्वातिदत्त-सूक्ष्म क्या है? यन्न गृह्णीमः।
महावीर-जिसे हम ग्रहण न कर सकें। ननु शब्दगंधानिलाः किम्?
स्वातिदत्त-क्या शब्द, गंध, हवा सूक्ष्म हैं ? न, ते इंद्रियगाह्याः, तेन ग्रहणमात्मा। ननु महावीर-नहीं, वे इन्द्रियग्राह्य-इन्द्रियों द्वारा ग्रहण ग्राहयिता हि सः।
किए जाते हैं। आत्मा इन्द्रिय द्वारा ग्राह्य नहीं है। वह
ग्राहक-ज्ञाता है। कतिविहे णं भंते! पएसणए? कइविहे गं स्वातिदत्त-प्रदेशन-देशना के कितने प्रकार हैं? पच्चक्खाणे?
प्रत्याख्यान के कितने प्रकार हैं। भगवानाह-सातिदत्ता! दुविहे पदेसणये-धम्मियं महावीर-प्रदेशन के दो प्रकार हैं-धार्मिक, अधार्मिक। अधम्मियं च। पच्चक्खाणे दुविहे मूलगुण- प्रत्याख्यान के दो प्रकार हैं-मूलगुण प्रत्याख्यान, पच्चक्खाणे य उत्तरगुणपच्चक्खाणे य।
उत्तरगुण प्रत्याख्यान। एतेहिं पदेहिं सव्वं तस्स उवागतं ।
स्वातिदत्त ने इन पदों से महावीर के विषय में
समग्रता से जान लिया।
साधना का तेरहवां वर्ष | ११६. ततो भगवं निग्गतो, जंभियगामं गतो। तत्थ महावीर जूंभिका ग्राम में गए। वहां इन्द्र आया वंदना
सक्को आगतो। वंदित्ता पूयं करेत्ता णट्टविहिं की, महिमा की, नाट्यविधि का उपदर्शन किया और उवदंसेत्ता णं वागरेति जहा एत्तिएहिं दिवसेहिं बोला-आपको इतने दिनों बाद केवलज्ञान उत्पन्न होगा। केवलणाणं उप्पज्जिहिति।
११७. ततो मेंढियग्गामं वच्चति। तत्थ चमरो वंदयो पियपुच्छओ य आगच्छति, वंदितुं पुच्छति। वंदितुं पुच्छितुं च पडिगतो।
महावीर मेंढियग्राम गए। वहां चमरेन्द्र वंदना करने और कुशल पूछने को आया। वह वंदना कर, महिमा कर और कुशल पूछ कर चला गया।
११८. ततो सामी छंमाणिं णाम गामो तहिं गतो। तस्स
बाहिं पडिमं ठितो।
महावीर छम्माणी ग्राम में गए। ग्राम के बाहर प्रतिमा में स्थित हो गए। .
कैवल्य
११९. ताहे सामी जंभियगामं णाम णगरं गतो।
वहां से महावीर पुनः भिका ग्राम में गए।
१२०. तओ णं समणस्स भगवओ महावीरस्स एएणं विहारेणं विहरमाणस्स बारसवासा विइक्कंता, तेरसमस्स य वासस्स परियाए वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दोच्चे मासे चउत्थे पक्खे-वइसाहसुद्धे तस्स णं वइसाहसुद्धस्स दसमीपक्खेणं, सुव्वए णं दिवसेणं, विजएणं मुहुत्तेणं, हत्थुत्तराहिं णक्खत्तेणं १. पएसणयं नाम उवदेसो। आवचू. १, पृ. ३२१
श्रमण भगवान महावीर को साधना पथ पर विहरण करते हुए बारह वर्ष बीत गए। तेरहवां वर्ष चल रहा था। ग्रीष्मकाल का दूसरा महीना। चौथा पक्ष। वैशाख मास का शुक्ल पक्ष। दसवीं तिथि। सुव्रत दिवस। विजय मुहूर्त। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का योग। पूर्वगामिनी छाया। व्यक्त (चतुर्थ) प्रहर। जृम्भिकग्राम - नगर के बाहर।