________________
निश्यावलिका सूत्रम्
[ वर्ग - प्रथम
पदार्थान्त्रयः—तए णं से काले कुमारे- तत्पश्चात् वह काल कुमार, अन्नया कथाइ – किसी अन्य समय, तिहिं - तीन, दंति सहस्सेहि- हजार हाथियों, तिहि — तीन, रहसहस्सेहि- हजार रथों और तिहि आसस हस्सेह - तीन हजार घोड़ों के साथ, तिहि मणुयकोडीह - तीन करोड़ मनुष्यों के साथ, गरुजवू हे - गरुड़ व्यूह, एक्कारसमेणं खंडेणं - राज्य के एकादशवें भाग के भागीदार, कूणिएणं रन्ना सद्धि—कोणिक राजा के साथ, रहमुसलं - रथमूसल नाम वाले, संगामं - संग्राम में, ओयाएप्राप्त हुआ अर्थात्-रथमूसल संग्राम में गया ।
( १७ )
मूलार्थ – तत्पश्चात् वह काल कुमार किसी अन्य समय तीन सहस्र हस्ती, तीन सहस्र रथ, तीन सहस्र अश्व और तीन करोड़ मनुष्यों को साथ लेकर राज्य के एकादशवें भाग के भागीदार राजा कोणिक के साथ गरुड़ व्यूह के आकार वाले रथ- मूसल संग्राम में प्रवृत्त हुआ ।
टीका - इस सूत्र में रथमूसल संग्राम का वर्णन किया गया है, इस स्थान पर जिज्ञासुओं जानने के लिए उक्त विषय का संक्षेप में वर्णन करते हैं ।
वृत्तिकार ने लिखा है कि श्रेणिक राजा के राज्य में दो रत्न उत्पन्न हुए - (१) अष्टादश व हार और ( २ ) सेचनक हस्ती । इनके कारण से ही संग्राम हुआ जैसे कि लिखा है
सेस्सि रज्जे दुवे रयणा - १. अट्ठारसबंको हारो २. सेयणगे हत्थीए । तत्थ किर सेणियस्स रन्नो जावइयं रज्जस्स मुल्लं तावइयं देवदिन्नहारस्स सेयणगस्स य गन्धहत्थिस्स । तत्थ हारस्स उपपत्ती- पत्याचे कहिज्जिस्सइ । कूगिवत्स य एत्थेव उत्पत्ती वित्थरेण भणिस्सई ।
तथा कोणिक राजा के साथ कालादि दश कुमार चम्पा नगरी में राज्य करते थे । वे सब दोगुन्दु देवों के समान सांसारिक सुखों का अनुभव करते हुए विचरते थे । हल्ल, विहल्ल नामों वाले कोणिक राजा के दो भ्राता थे ।
अहार की उत्पत्ति के विषय में कहते हैं । शक्रेन्द्र द्वारा श्रेणिक राजा की भक्ति की प्रशंसा सुनकर एक देव उस भक्ति से प्रसन्न होगया। उसने राजा श्रेणिक को अष्टादशवक हार दिया ओर दो वृत्त गोलक दिए । राजा ने वह हार चेलना नाम वाली देवी को दे दिया और वृत्त - गोलक मंत्री अभय कुमार की माता सुनन्दा देवी को दिए। रानो ने उनको तोड़ कर उनमें से एक में से कुण्डल युगल और एक में से वस्त्र-युगल ग्रहण किए ।
एक बार मन्त्री अभय कुमार ने श्री श्रमण भगवान् महावीर स्वामी से पूछा - भगवन् ! आपके पश्चात् अन्तिम राजष कौन होगा ? भगवान महावीर ने उत्तर में कहा - 'राजा उद्दायिन राजर्षि होगा । तत्पश्चात् बद्धमुकुट राजा दीक्षित नहीं होंगे। तत्पश्चात् राजा श्रेणिक ने अभय कुमार को राज्य देने का निश्चय किया, किन्तु अभय कुमार ने राज्य लेना स्वीकार नहीं किया । तब राजा श्रेणिक