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होती है वह उसकी नहीं होती, उसके गर्भस्थ जीव की होती है। उसी दोहद से गर्भस्थ जीव के गूण व अवगुणों का आकलन होता है। जैन ग्रन्थों में हजारों कथाओं में अनेक बिचित्र दोहदों का वर्णन है। मान्यता है कि अगर इस दोहद को पति पूर्ण न करे तो स्त्री अस्वस्थ्य रहनी शुरू हो जाती है। रानी चेलना का दोहला विचित्र ओर कभी पूरा न होने वाला था। कैसे राजा श्रेणिक ने अपने पुत्र मन्त्री अभय कुमार की सहायता से इसे पूर्ण किया ? इसका वणन इस अध्ययन में है। चेलना विशद्ध शाकाहारी और दयालु स्वभाव की स्त्री थी । चेलना ने गर्भस्थ जीव की इच्छा को तो जैसे तैसे पूरा किया गया। पर साथ में जो उसका प्रायश्चित्त किया गया, वह भी अभूत पूर्व था। उसने पहले तो गर्भ को नष्ट करने के अनेक प्रयत्न किये, पर वह असफल रही। चेलना के मन में अपने गर्भस्थ जीव के प्रति बहुत ग्लानि भरी हुई थी। वह हर समय सोचतो रहती थी कि यह कैसा जीव मेरे गर्भ में है जो पैदा होने से पहले ही पिता के कलेजे का मांस व शराब चाहता है। ___अतः कोणिक का जब जन्म हुआ तो रानी चेलना ने उसे गुप्त रूप से एक दासी के हाथों कूड़े के ढेर पर फिकवी दिया। यहां उसकी करुणा का पता चलता है । अगर चेलना हिंसक होती है तो इस बालक को पैदा होते ही मार सकती थी। गंदगी में पड़े बालक को राजा श्रेणिक ने देखा। उस बालक की अंगली मुर्गे ने काट खाई थी। श्रेणिक ने बालक को उठाया, अपने कलेजे से लगाया । फिर राजा श्रेणिक ने अपनी पत्नी का उपालम्भ भरे शब्दों प्रताड़ित किया । अंगुलि कटी होने के कारण बालक की अंगुली से मवाद बहने लगा। इस गन्दगी को श्रेणिक अपने मुख से चूसता और थूक देता ताकि बालक को पीड़ा से मुक्ति मिले । को णिक के सभी संस्कार किये गये ।
कोणिक युवा हुआ तो पिता ने आठ राज-कन्याओं के साथ उसका विवाह कर दिया। समय बीतता गया। एक रात्रि कोणिक के मन में अशुभ विचार उत्पन्न होते हैं कि मैं पिता के होते हुए राजश्री का सुख नहीं भोग सकता। मुझे राजा कोणिक को कारागार में डाल कर स्वयं गद्दी पर बैठ जाना चाहिये।'' इस साजिश में उसने अपने काल कुमार आदि भाइयों को भी सम्मिलित कर लिया। राजा श्रेणिक को कारागार में डाल दिया गया। राज्य को कोणिक ने ११ भागों में बांटने का निश्चय किया।
एक दिन कोणिक वस्त्रालंकारों से विभूषित हो अपनी माता चेलना को वन्दन करने के लिये आया। उसकी माता अपने पुत्र को उपर्युक्त हरकत से दुखी थी। माता को दुखी देख कर कोणिक बोला-"माता! क्या आपको मेरा राजा बन जाना अच्छा नहीं लगता।" ___माता ने उत्तर दिया-"पुत्र ! मुझे तुम्हारा राज्य-सुख कैसे अच्छा लग लकता है । जब कि तूने अपने उस पिता को कारागार में डाल रखा है, जो तुझे बहुत प्यार करता है । तुम्हें पता नहीं, जब तू गर्भ में था तो मुझे तेरे पिता के उदर का मांस व मदिरा पोने की इच्छा हुई थी। मैं तेरे गर्भ में आने से अप्रसन्न थी, अतः मैंने गर्भ को नष्ट करने के प्रयत्न किये, पर सब व्यर्थ रहे। जब तुम्हारा जन्म हुआ तो मैंने तुझे कूड़े के ढेर पर फिकवा दिया जहां तेरी अंगुली को मुर्ग ने काट
(ततालीस)