________________
छेद सूत्रों के नामों में भी भेद उपलब्ध होता है कई स्थानों पर पिण्ड-नियुक्ति की जगह ओघनियुक्ति मिलता है इसी तरह छेद सूत्रों में पंच कल्प को इस वर्ग में रखा गया है।
स्थानकवासी व तेरहपंथी परम्परा प्रकीर्णक महानिशीथ व जीतकल्प को नहीं मानती। श्वेताम्बर जैन आगमों की भाषा अर्धमागधी है जो उस समय जन सामान्य की भाषा रही है और भारत की अनेकों भाषाओं की जननी भी यही अर्धमागधी प्राकृत है। दिगम्बर ग्रंथों की भाषा महाराष्ट्री प्राकृत है जो दक्षिण भारतीय भाषाओं की जननी है। अपभ्रश साहित्य के जनक तो जैन आचार्य ही रहे हैं। प्राचीन जैन साहित्य कन्नड़ और तमिल, भाषाओं में भी उपलब्ध है। उत्तर व पश्चिम भारत में श्वेताम्बर जैन परम्परा फली फूली है, तो दक्षिण व मध्य भारत में दिगम्बर पर म्परा का प्रमुख स्थान रहा है।
निरयावलिका सूत्र आगमों के लेखन-काल से ही आगमों पर आचार्यों ने टीका, नियुक्ति, भाष्य, व टब्बा ग्रन्थों की रचना की है, अकेले उत्तराध्ययन सूत्र पर अनेकों संस्कृत टीकायें टब्बा एवं गीत, उपलब्ध होते हैं । भद्रबाहु स्वामी रचित कल्प सूत्र पर सर्वाधिक टीकायें, भाष्य, टब्बे प्राप्त होते हैं।
संस्कृत टीकाकारों में प्रमुख नाम हैं शीलांकाचार्य, अभयदेव सरि, मलयगिरि, हेमचन्द्राचार्य, आदि । भाष्यकारों में आचार्य जिनभद्र का नाम प्रमुख है। नियुक्ति कार के रूप में आचार्य भद्रबाहु स्वामी का नाम प्रसिद्ध है।
निरयावलिका के प्रथम वर्ग का नाम निरयावलिका है। यहां इसे स्वतन्त्र उपाङ्ग नहीं बताया गया। इसके विपरीत नंदीसूत्र में उपाङ्गों को चर्चा में इन पांचों को स्वतन्त्र उपाङ्ग माना यया है । नन्दीसूत्र की सूचना काफी प्राचीन है। कोई कारण नहीं लगता कि नन्दीसूत्र की बात को न माना जाए। .. निरयावलिका का दूसरा नाम "कल्पिता" आया है। यह बात भी ध्यान देने योग्य है।
निरयावलिका समेत सभी उपाङ्गों के ५२ अध्ययन हैं । डा. नलिनी वलवीर पैरिस विश्वविद्यालय लिखती हैं—नियम यह है कि प्रथम अध्याय की कथा सम्पूर्ण रूप से दी गई है। दूसरे पध्यायों की कथाएं अलग अलग नहीं हैं । पात्र और स्थान के नाम ही बदले गये हैं और इन कथाओं के केवल संकेत दिये गये हैं। _सभी उपाङ्गों का पहला अध्ययन ही तो विस्तृत है, शेष संक्षिप्त (सिवाय तृतीय वर्ग के वहाँ दो अध्ययन विस्तृत हैं) ये उपाङ्ग कथा-प्रधान श्रुत स्कन्ध हैं। हम इन उपाङ्गों का संक्षिप्त विवेचन करने का प्रयास करते हैं।
[इकतालीस]