________________
वर्ग-तृतीय]
(३०३)
[निरयावलिका
ने, · चउत्थस्स अज्झयणस्स-इस शास्त्र के चौथे अध्ययन के, अयमढे पण्णत्ते-उपर्युक्त भाव निरूपित किए हैं ॥२६॥
मूलार्थ- श्री गौतम स्वामी जी पूछते हैं-भगवन् ! वह सोम नामक देव उस सौधर्म नामक देवलोक से आयु-क्षय, भव-क्षय, स्थिति-क्षय हो जाने पर वहां से च्यव कर कहां जाएगा और कहां उत्पन्न होगा?
(भगवान महावीर स्वामी ने कहा)-हे गौतम ! वह महाविदेह क्षेत्र में जायेगा और सब दुखों का अन्त करेगा। .. हे जम्बू ! इस प्रकार श्रमण भगवान् महावीर ने इस शास्त्र के इस चतुर्थ अध्ययन के उपर्युक्त भाव निरूपित किए हैं।
टीका-सभी भाव सर्वथा. स्पष्ट हैं। .. : ॥ पुष्पिता का चतुर्थ अध्ययन समाप्त ।।