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________________ निरयावलिका) ( २२७) [वर्ग-ततीय - तत्पश्चात् वह सोमिल दूसरे दिन प्रात:काल सूर्योदय होते हो बल्कल वस्त्र धारण करके अपनी बहगो (कांवड़) एवं अपने भाण्डोपकरण आदि लेकर काष्ठमुद्रा से अपना मुह बांध लेता है और मुख को बांध कर उत्तर की ओर मुख करके वहां से चल देता है । तब वह सोमिल दूसरे दिन सूर्यास्त से कुछ पूर्व हो वहाँ पर सप्तरण नामक एक वृक्ष था वहीं पर पहुंच जाता है और पहुंच कर सप्तपर्ण वृक्ष के नीचे अपनी बंहगी रख देता है और रखकर वेदिका का निर्याण करता है और निर्माण करके जैसे पहले दिन अशोक वृक्ष के नीचे पूर्ववत् स्नानादि करके अग्नि में हवन करता है और पुन: अपने मुख पर काष्ठ-मुद्रा बांधकर मौन धारण करके बैठ जाता है ॥१२॥ टोका-प्रस्तुत सूत्र में सभी व्याख्येय प्रकरण अत्यन्त सरल हैं। उत्तर दिशा में सोमिल सप्तपर्ण वृक्ष के सीचे विश्राम एवं अपने हवन कृत्य करता है यही विशेष है ।।१२।। मूल-तए णं तस्स सोमिलस्स पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउन्भूए । तएणं से देवे अंतलिक्खपडिवाने जहा असोगवर पायवे जाव पडिगए । तएणं से सोमिले कल्लं जाव जलते वागलवत्थ नियत्थे किढिणसंकाइयं गिण्हइ, गिव्हिइत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंध इ, उत्तरदिशाए · उत्तराभिमुहे संपत्थिए ॥१३॥ छाया-ततः खलु तस्य सोमिलस्य पूर्वरात्रापररात्रकाल समये एको देवोऽन्तिकं प्रादुर्भतः । ततः खल स देवोऽन्तरिमप्रतिपन्नः यथा अशोकवरपादपे यावत् प्रतिगतः । तत खुल स सोमिल: कल्पे यावत् ज्वलति वल्कलवस्त्रनिवसितः किढिणसाङ्कायिकं गृह्णाति, गृहीत्वा काष्ठमुद्रया मुखं बध्नाति, बवा उत्तराभिमुखः संप्रस्थितः ॥१३॥ पदार्थान्वयः-तएणं-तत्पश्चात्, तस्स सोमिलस-उस सोमिल ब्राह्मण के, पुवरत्ता परत कालसमयंसि-अपराह्नकाल अर्थात् दिन के अन्तिम प्रहर में, एगे देवे-एक देवता, अंतियं पारम्भूए-सामने प्रकट हुना, तएणं से देवे-तब वह देवता, अंतलिक्ख-परिवन्ने-आकाश में खड़े खड़े ही, बहा असोगवरपायवे-और जैसे अशोक वृक्ष के नीचे उसने पहले कहा था वैसे ही कह कर, जाव पडिगए-(सोमिल द्वारा उपेक्षा करने पर वह) लौट गया था, वैसे ही लौट मया ।
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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