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________________ निरयावलिका] (१७७) [वर्ग-द्वितय यह अर्थ प्रतिपादन किया है, तो हे भगवन् ! (उन श्रमण भगवान महावीर) ने दूसरे अध्ययन का क्या अर्थ प्रतिपादन किया है ? गणधर सुधर्मा स्वामी ने उत्तर दियाहे जम्बू ! उस काल एवं उस समय में चम्पा नाम की एक नगरी थी। (वहां) कोणिक नाम का राजा राज्य करता था। उसकी पद्मावती नाम की देवी (महारानी) थी। उस चम्पा नगरी में राजा श्रेणिक की भार्या एवं राजा कोणिक की छोटी माता सुकाली नाम की देवी थी। उस सुकाली का पुत्र सुकाल नाम का कुमार था। उस सुकाल कुमार की महापद्मावती नाम को रानी थी जी सुकोमल थी। ___तत्पश्चात् वह महापद्मावती देवी, किसी समय महल में सो रही थी (जैसे कि पहले वर्णन किया जा चुका है) । उसको कुक्षि से महापद्म नाम का कुमार उत्पन्न हुआ, यावत् वह निर्वाण-पद प्राप्त करेगा। इतना विशेष है कि उसका उपपात (देवलोक में जन्म) होगा और वह ईशान-कल्प नामक देवलोक में उत्कृष्ट स्थिति वाला देव बनेगा। इस प्रकार हे.जंबू ! श्रमण भगवान महावीर ने यावत् मोक्ष को संप्राप्त ने द्वितीय अध्ययन का यह अर्थ प्रतिपादन किया है। - इस प्रकार शेष आठ अध्ययनों का अर्थ भी जानना चाहिए। सब के नाम माताओं के नामों के सदृश हैं । अनुक्रम से कालादि दसों ही पुत्रों की दीक्षा-पर्याय इस प्रकार है, प्रथम दो की पांच वर्ष, तीन की तीन वर्ष, दो की दो वर्ष । यह सब महाराजा श्रेणिक के पोत्रों की दीक्षा-पर्याय है । अनुक्रम से इन सबका उपपात इस प्रकार हुआ। प्रथम का सौधर्भ देवलोक, द्वितीय का ईशान देवलोक, तृतीय का सनत्कुमार देवलोक, चौथे का माहेन्द्र देवलोक, पांचवें का ब्रह्म देवलोक, छठे का लांतक देवलोक, सातवें का महाशुक्र देवलोक, आठवें का सहस्रार देवलोक, नौवें का प्राणत, दसवें का अच्युत देवलोक । सबकी देवलोक में उत्कृष्ट स्थिति जाननी चाहिए यावत् ये सब महाविदेह क्षेत्र से सिद्ध होंगे ।।६।। टोका-इस सूत्र में राजा श्रेणिक के पौत्रों का वर्णन है, इन सब राज-कुमारों ने मुनि-जीवन ग्रहण किया, तप किया और देवलोक प्राप्त किया। फिर महाविदेह क्षेत्र में सिद्ध-बुद्ध-मुक्त होंगे,
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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