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वर्ग-द्वितीय]
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निरयावलिका
करेगा, तं एवं खलु जंबू-इस प्रकार निश्चय ही हे जम्बू !, समणेण जाव संपत्तेणं-श्रमण भगवान यावत् मोक्ष को सम्प्राप्त ने, कप्पडिसियाणं-कल्पावतंसिका के, पढ-स्स-प्रथम, अज्झयणस्स-मध्ययन का, अयम8 पन्नते-यह अर्थ प्रतिपादन किया है, तिबेमि-इस प्रकार मैं कहता हूं ॥६॥
मूलार्थ-हे भगवन् ! वह पद्मदेव, देवलोक की आयु पूर्ण करके कहां उत्पन्न होगा ? इस प्रकार का प्रश्न गौतम स्वामी ने किया। इसके उत्तर में भगवान महावीर ने कहा- "हे गौतम ! महाविदेह क्षेत्र में जैसे दृढ़प्रतिज्ञ का वर्णन है यावत् सब दु:खों का अन्त करेगा। (आर्य सुधर्मा कहते हैं) हे जम्बू ! निश्चय ही श्रमण भगवान मोक्ष-संप्राप्त ने कल्पावतंसिका के प्रथम अध्ययन का यह अर्थ प्रतिपादन किया है। इस प्रकार मैं कहता हूं ॥६॥
टोका-प्रस्तुत सूत्र में भगवान महावीर ने सूचित किया है कि पद्म मुनि देवलोक की आयु पूर्ण कर महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होगा, वह दृढ़प्रतिज्ञ अनगार को तरह से सिद्ध बुद्ध होकर मोक्ष को प्राप्त करेगा॥६॥
॥प्रथम अध्ययन पूर्ण हुआ॥ .
अथ द्वितीय अध्ययन मूल-जइ णं भते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कप्पडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! अज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था, पन्नभद्दे चेइए, कूणिए राया, पउमावईदेवी । तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रन्नो भज्जा कूणियस्स रन्नो चुल्लमाउया सुकाली नामं देवी होत्था । तोसे णं सुकालीए पुत्ते सुकाले नाम कुमारे। तस्स णं सुकालस्स कुमारस्स महापउमा नामं देवी होत्था, सकुमाला
तए णं सा महापउमा देवी अन्नया कयाइं तंसि तारिसगंसि एवं तहेव महापउमे नाम बारए, जाव सिज्झिहिइ, नवरं ईसाणे कप्पे उववओ