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________________ वर्ग-द्वितीय] (१६८) [कल्पावतंसिका वडिसियाणं समजेणं भगवया जाव के अछे पन्नत्ते-कल्पावतंसिका के प्रथम) अध्ययन का श्रमण भगवान महावीर यावत मोक्ष को प्राप्त ने क्या अर्थ प्रतिपादन किया है, एवं खलं जंब-इस प्रकार हे जम्ब!, तेणं कालेणं तेणं समएणं-उस काल, उस समय में; चंपा नाम नयरी होस्थाचम्पा नाम की नगरी थी, पुन्नभद्दे चेइए-पूर्ण भद्र नाम का चैत्य था, कृणिए राया-कोणिक नाम का राजा था, दउमावई देवी-पद्मावती नाम की रानी थी, तत्थणं चंपाए नयरीए-उस चम्पा नगरी में, सेणियस स्त्रोमामाणियस रम्रो चल्लमाया काली नाम देवी होत्था-श्रेणिक राजा की भार्या, कोणिक राजा की छोटी माता काली देवी थी, तीसे गं कालीए देवीए-उस काली देवी का, पुत्ते काले नाम कुमारे हो था--काल कुमार नाम का पुत्र था, सकुमाले०-जो सुकोमल था, तस्स णं कालस्स पउमावई नाम देवी होत्था-उस काल कुमार की पद्मावती नाम की रानी थी, सोमाला जाव विहरइ-जो कि सुकुमार थी यावत् शान्ति पूर्वक जीवन यापन कर रही थी। तए ण-तत्पश्चात्, सा पउमावई देवी-वह पद्म वती, अन्नया कयाई-अन्य किसी समय, तंसि तारिसगंसि वास घरंसि-उस पुण्य आत्मा के योग्य वासगृह में, अमितरओआभ्यंतर से, सचितकम्मे-जो वास गृह सचित्र था, जाव-यावत् सोहं सुमिणे-सिंहस्वप्न में, पासित्ता णं-देख कर; पडिबुद्धा-जागृत हुई, एवं-इस प्रकार, जम्मणं-जन्म, जहाजैसे, महाबलस्स-महावल कुमार, जाव-यावत्, नामधिज्ज-नाम करण हुआ था, जम्हागजिससे, अम्ह-हमारा, इमे दारए-यह बालक, काल कुमारस्स-काल कुमार, पुत्ते-हमारा पुत्र है, पउमावईए देवीए अत्तए पद्मावती का आत्मज है, तं--प्रतः,, होउणं-हो, अम्हं-हमारे, इमस्स दारगस्स-इस बालक का, नामधिज्जं-नाम करण, पउमें-पद्म, सेसं-- शेषवर्णन, जहाजैसे, महाबलस्स-महाबल कुमार का है उसी प्रकार जानना चाहिए, अट्ठाओ दाओ-आठ पत्नियां अर्थात् पाठ कन्याओं के साथ विवाह हुआ, जाव-यावत्, उप्पिपासायवरगए-ऊपर प्रधान प्रासाद में रहता हुआ, विहरइ-विचरता है ॥२॥ मूलार्थ-हे भगवन् ! यदि श्रमण भगवान यावत् मोक्ष को संप्राप्त भगवान महावीर ने कल्पवतंसिका के दश अध्ययन प्रतिपादित किए हैं तो हे भगवन् ! मोक्ष को संप्राप्त भगवान महावीर ने कल्पावतंसिका के प्रथम अध्ययन का क्या अर्थ प्रतिपादन किया है. ? सुधर्मा स्वामी ने उत्तर दिया-निश्चय ही उस काल उस समय में चम्पा नाम की नगरी थी, पूर्ण भद्र चैत्य था, कोणिक नाम का राजा राज्य करता था, उसकी पद्मावती नाम की रानी थी। उत चम्पा नगरी में श्रेणिक राजा की भार्या राजा कोणिक की छोटी माता काली नाम की रानी थी जो सुकोमल थी। उस काली देवी के . काल कुमार नाम का पुत्र था जो सुकोमल था। उस काल कुमार की पद्मावती नाम
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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