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बर्ग-प्रथम]
(१६०)
[निरयावलिका
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एवं शेषाप्यष्टाध्ययनानि ज्ञातव्यानि प्रथमसदृशानि। नवरं मातरः सदृशनाम्न्यः ॥ १० ॥ निक्षेपः सर्वेषां भवित० यस्तथा ।।
निरयाबलिकाः समाप्ताः। ॥ प्रथमो वर्गः समाप्तः ॥ १॥
पदार्यान्वयः-जइ णं भन्ते-हे भगवन् यदि, समणेणं जाव संपत्तेणं-श्रमण भगवान् यावत् मोक्ष को संप्राप्त, निवयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयम? पन्नत्ते-प्रथम अध्ययन का यह अर्थ प्रतिपादित किया है, दोच्चस्स णं भन्ते-हे भगवान तो दूसरे, अज्झयणस्स मिरयावलियाण समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं के अटू पन्नते-अध्ययन निरयावलिका का क्या अर्थ श्रमण भगवान यावत् मोक्ष को संप्राप्त ने बताया है ?, एवं खल-इस प्रकार हे जम्बू, तेणं कालेणं तेणं समएणंउस काल व उस समय में, चम्पा नाम नयरी होत्था - चम्पा नाम को नगरी थी, पुण्णभद्दे चेइए - पूर्ण भद्र नाम का चैत्य था, कोणिए राया-राजा कोणिक था, पउमावइ देवी - उसकी पद्मावती नाम की रानी थी, तत्थ णं-उस, चम्पाए नयरीए सेणियस्स रन्नो-उस चम्पा नगरी में श्रेणिक राजा की, भज्जा-भार्या, कुणियस्स रन्नो चुल्लमाउया-कोणिक राजा की छोटी माता, सुकाली नाम देवी होत्था-सुकाली नाम की देवी (रानी) थी, सुकुमाला-वह सुकोमल थी, तोसे णं-उस, सुकालीए देवीए-सुकाली देवी का पुत्र सुकाल था जो शरीर से सुकोमल था, तएणं-तत्पश्चात्, से सुकाले कुमारे-वह सुकाल कुमार, अन्नयां-अन्यदा किसी, कयाइकभी अर्थात् किसी समय, तिहिं दन्तिसहस्सेहि-तीन हजार हाथियों सहित, जहा-जैसे, कालः कुमार:-काल कुमार का वर्णन है, निरवसेसं-निरवशेष (मृत्यु को प्राप्त हुआ), तं चेव-उसी प्रकार का वर्णन जानना चाहिए, जाव --यावत्. महाविदेह वासे-महाविदेह क्षेत्र में पैदा होगा, अन्तं काहिइ-सब दुःखों का अन्त करेगा। वीयं अज्झयणं सम्मत्तं-दूसरा अध्ययन समाप्त हुआ।
एवं इसी प्रकार, सेसाविअट्र अज्झयणं-शेष आठ अध्ययन भी, नेयव्वा-जानने चाहिए, पढमसरिसा-प्रथम अध्ययन की तरह, णवरं-इतना विशेष है, मायाओ सरिसणामओउनकी माताओं के नाम उनकी तरह ही थे ।। ६५।।
मूलार्थ-आर्य जम्बू कहते हैं- हे भगवन् ! अगर मोक्ष को संप्राप्त श्रमण भगवान ने निरयावलिका सूत्र के प्रथम अध्ययन का यह अर्थ बताया है, तो हे भगवन् ! उस मोक्ष को संप्राप्त श्रमण भगवान महावीर ने निरयावलिका के दूसरे अध्ययन का क्या अर्थ प्रतिपादित किया है ?
आर्य सुधर्मा स्वामी कहते हैं-हे जम्बू ! उस काल, उस समय में चम्पा नाम की एक नगरी थी, वहां पूर्ण भद्र नाम का चैत्य था। वहां राजा कोणिक राज्य करता था।