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वर्ग-प्रथम]
(१५०)
[निरयावलिका
मूलार्थ-तत्पश्चात् वह काल कुमार अपने तीन हजार हाथियों और करोड़ों सैनिकों से युक्त यावत् गरुड़-व्यूह की रचना करके अपनी सेना के ग्यारहवें भाग सहित, राजा कोणिक के साथ रह कर रथ-मशल संग्राम में राजा चेटक से युद्ध करते हुए आहत और मथित हुआ, जैसे भगवान महावीर ने काली देवी से कहा था यावत् जीवन से रहित अर्थात् मारा गया ॥९२॥
टीका-प्रस्तुत सूत्र में राजा कोणिक द्वारा चलाए गए रथ-मुसल संग्राम का वर्णन है । इस समय काल कुमार भी तीन हजार हाथियों यावत् तीन करोड़ सैनिकों के साथ राज चेटक के द्वारा मारा गया। चम्पा में विराजित सर्व विवरण काली देवी (श्रेणिक की रानो) को श्रमण भगवान . महावीर सुना रहे हैं।
इस स्थान पर कोटि मनुष्यों का उल्लेख है-३३ करोड़ सेना का वर्णन है। राजा चेटक एवं अठारह गणराजाओं की सेना का प्रमाण सत्तावन करोड़ बताया गया है। यहां पर हमारा विचार है कि कोटि एक विशेष संज्ञा होगी जो उस समय सैनिक परिमाण के लिए प्रयुक्त हुआ करती थी।
तपागच्छीय श्वेलाम्बर श्री आत्माराम जी महाराज अपने ग्रंथ "जन तत्त्वादर्श" के सातवें परिच्छेद सम्यक्त्व के पांच अतिचारों का वर्णन करते हुए प्रथम शंका अतिचार में लिखते हैं-सो जिन-वचन में शंका करनी, क्योंकि जिन-वचन बहुत गम्भीर है और उसका यथार्थ प्रर्ष कहने वाला इस काल में कोई नहीं है और जो शास्त्र हैं सो अनेक नयात्मक हैं उनकी गिनती तथा संज्ञा विचित्र है। कई एक जगह तो कोटि शब्द करोड़ का वाचक है और किसी जगह रूढ़ वस्तु २० की संख्या का वाचक है। क्योंकि श्री जिनभद्र गणि क्षमा-श्रमण सर्व संघ के समस्त आचार्य संधयण नामा पुस्तक में तथा विशेषणवती ग्रंथ में लिखते हैं कि कोई प्राचार्य कोडी शब्द को एक करोड़ का वाचक नहीं मानते हैं, किन्तु संज्ञा तर मानते हैं, क्योंकि वर्तमान काल में भी बीस को कोड़ी कहते हैं तथा सौराष्ट्र देश में भी पांच माने की कोड़ी है । यह जैसे कोड़ी शब्द में मतान्तर है ऐसे ही शत सहस्र शब्द भी किसी संज्ञा के वाचक होवे तो कुछ दोष नहीं तथा शत्रुञ्जय तीर्थ में जो मुनि मोक्ष गए हैं वहां भी पांच कोड़ी आदि शब्द संज्ञा विशेष में है। ऐसे ही ५६ करोड़ यादवों की संख्या कोई संज्ञा विशेष है। कोणिक एवं चेटक राजाजों की सेना में जो कोड़ी शत शतसहस्र शब्द हैं सो संज्ञा विशेष के वाचक हैं। इसलिये सब शब्दों का सर्व जगह एक सरीखा अर्थ मानना युक्त नहीं है। इस कथन में पूज्य श्री जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण पूरे साक्षी देने वाले हैं । - हो सकता है "कोटि" शब्द आज को सैनिक शब्दावली के "कम्पनी" शब्द का बोधक । किसी भी कम्पनी में सैनिकों की संख्या निश्चित नहीं होतो . कम्पनी विशिष्ट सैनिक समूह को कहा. जाता है। ऐसे ही कोटि में सैनिकों की संख्या निश्चित नहीं होती होगी। फिर भी सत्य अर्थ तो केवली भगवान् को ही ज्ञात होगा ।।६२॥