________________
निरयावलिका)
[वर्ग-प्रथम
m-r--.-.-.टोका-प्रस्तुत सूत्र में राजा कोणिक की युद्ध सम्बन्धी तैयारी का परम्परागत ढंग से वर्णन है । राजा कोणिक ने पहले स्नान किया, फिर उपस्थान शाला (सभा-मण्डप) में प्राता है फिर हाथी पर आरूढ़ होकर, वाद्य-यंत्रों व चतुरंगिणी सेना से घिरा हुआ वहां आता है जहां कालादि दश कुमार पड़ाव डाले हए थे। राजा कोणिक के साथ तीन-तीन हजार घोड़े, हाथी व अश्व थे । इस प्रकार की सैनिक तैयारी को समग्र वर्णन प्रौपपातिक सूत्र में मिलता है ।।८०॥
उत्थानिका-सूत्रकार अब इस विषय में आगे क्या कहते है ?
मूल-तएणं से कूणिए राया तेत्तीसाए दंतिसहस्सेहि, तेत्तीसाए आससहस्सेहि, तेत्तीसाए रहसहर्सेहि, तेत्तीसाए मणुस्सकोडोहिं सद्धि संपरिवुडे सविढ्ढीए जाव रवेण सुहिं वसहिपायरासेहिं नाइविप्पगिट्ठहिं अंतरावासहिं वसमाणे-वसमाणे अंगजणवयस्स मज्झं-मज्झणं जेणेव विदेहे जणवए जेणेव वेसाली नयरी तेणेव पहारित्थ गमणाए ॥८१॥
छाया-ततः खलु स कूणिको राजा वयस्त्रिशतैः दन्तिसहस्रः; त्रयस्त्रिशताःवसहस्र', जयस्त्रिशतैः रथसहस्रः, त्रयस्त्रिंशतः मनुष्यकोटिभिः सार्द्ध संपरिवृतः सर्वद्धर्या यावद् रवेण शुभसतिप्रातराशे-नातिविप्रकृष्टरन्तरावासः बसन् वसन् अङ्गजनपदस्य मध्यमध्येन यत्रैव विदेहो जनपदः यत्रैव वैशाली नगरी तत्रैव प्राधारपद गमनाय ।।१।।
पदार्थाम्बयः-तएणं-तत्पश्चात्, से कृणिए राया-वह राजा कोणिक, तेत्तीसाए दन्तिसहस्सेहि-३३ हजार हाथियों के साथ, तेलीसाए आससहस्सेहि-तेंतीस हजार अश्वों के साथ, तेत्तीसए रहसहस्सेहि-तेंतीस हजार रथों, तेत्तीसए मणुस्सकोडोहिं - तेंतीस करोड़ मनुष्यों (सैनिकों) सद्धि-साथ, संपरिवुडे-संपरिवृत हुआ यावत् घिरा हुआ, जाव-यावत्, सम्विडिए रवेणंवाद्य-यंत्रों के स्वर घोष के साथ सर्व ऋद्धि युक्त, सुहि-शुभ बस्तियों में पड़ाव करता हुआ, वसहिपाय-रासेहि-प्रातःकालीन जल-पान आदि करता हुआ, नाइविप्पगिट्ठोहि-अधिक न चलते हुए, अन्तरावासेहि वसमाणे, वसमाणे-रास्ते में पड़ाव डालता हुआ, अंगजणवयस्स मज्झमज्झेणंअंग देश के बीचों-बीच, जेणेव विदेह जणबए-जहां विदेह जनपद था, जेणेव वेसाली नयरी-जहां वैशाली नगरी थी, तेणेव पहारेत्थ गमणाए-वहां जाने के लिए तैयार हुआ अर्थात् उसने वैशाली नगरी की ओर प्रस्थान किया ।।८।।
मूलार्थ-तत्पश्चात् राजा कोणिक ३३ हजार हाथियों ३३ हजार अश्वों, ३३ हजार रयों, ३३ करोड़ सैनिकों से घिरा हुआ यावत् अपनी समस्त ऋद्धि के साथ विभिन्न ।