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________________ वर्ग-प्रथम ] ( १३४ ) [निरयावलिका तएणं से कूणिए राया तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव रवेणं चंपं नर्यार मज्झं-मज्झेणं निग्गच्छ इ, निग्गच्छित्ता जेणेव कालादीया दस कुमारा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कालाइएहिं दसहि कुमारे सद्धि एगओ मेलायति ॥८॥ ___ छाया-ततः खलु स कृणिको राजा यत्रैव मज्जनगृहं तत्रैवोपागच्छति यावत् प्रतिनिर्गत्य यत्रैव बाह्या उपस्थानशाला यावत् नरपतिर्दुरूढः । तत. खलु स कुणिको राजा त्रिभिर्दन्तिसहस्रः यावत् चम्पां नगरी मध्यं-मध्येन निर्गच्छति,. . निर्गस्य यत्रैव कालादिकाः दश कुमारास्तत्रैव उपागच्छति, उपागस्य कालादिकर्दशभिः कुमारः सार्द्धमेकतो मिलति ।.८०॥ पदार्थान्दय:-तएणं-तत्पश्चात्, से कणिए राया-वह कोणिक राजा, जेणेव मज्जणघरेजहां स्नान-घर था, तेणेव उवागच्छइ-वहां माता है, जाव-यावत् स्नानादि से निवृत्त होकर पडिनिग्गच्छित्ता-राज महल से निकल कर, जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला-जहां वाह्य उपस्थान शाला थी, जाव-यावत्, नरवई दुरूढे - नरपति कूणिक अभिषिक्त हस्ति पर बैठ गया। तरणं-तत्पश्चात्, से कूणिए राया-वह कोणिक राजा, जाव-यावत्, तिहि वंति सहस्सेहि-तीन हजार हाथियों के साथ, रवेणं-वाद्य-यंत्रों के स्वरों के साथ, चम्पा नार मज्झंमज्झेणं-चम्पा नगरी के मध्य-मध्य से होता हुआ, निग्गच्छइ-निकलता है, निग्गच्छइत्ता-और निकल कर, जेणेव कालाईया दस कुमारा-जहां कालादि दश कुमार थे, तेणेव उवागच्छइ-वहां आता है, उवागच्छित्ता-आकर, कालाइएहि कुमारहिं सद्धि एगो मेलायन्ति-कालादि दश कुमारों के साथ एकत्रित होता है, अर्थात् सब भाई इकट्ठ मिल जाते हैं । ८०।। मूलार्थ तत्पश्चात् राजा कोणिक जहां स्नान-घर था वहां आता है, यावत् स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर, राजमहल से निकलता है और निकल कर जहां बाहिर उपस्थान शाला (राज-सभा) थी बहां आता है । फिर वहां आकर यावत् कोणिक राजा हाथी पर सवार होता है। फिर कोणिक राजा तीन हजार हाथियों के साथ यावत् वाद्ययंत्रों के स्वरों के साथ चंपानगरी के बीचों-बीच होता हुआ आता है, आकर कालादि दश कुमारों के समूह के साथ एकत्रित होता है, अर्थात् भाइयों के साथ मिल जाता है ।।८०।।
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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