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वर्ग-प्रथम
(१३०)
। निरयावलिका
पडिसुणन्ति-का अर्थ है स्वीकार करना। उन कुमारों ने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा अर्थात् उन भाइयों ने अपनी ओर से राजा कोणिक को न्याय-मार्ग पर लाने की चेष्टा नहीं की।
उत्थानिका-राजा कोणिक ने इस विषय में जो आगे कथन किया, उसी का सूत्रकार ने कथन किया है
मूल-तएणं से कूणिए राया कालादीए दस कुमारे एव वयासीगच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! सएसु सएसु रज्जेसु पत्तेयं पत्तेयं व्हाया जाव पायच्छिता हत्थिखंधवरगया पत्तेयं-पत्तेयं तिहिं दंतिसहस्सेहि, एवं तिहिं रहसहस्सेहि, तिहिं आससहस्सेहि, तिहिं मणुस्सकोडीहिं सद्धि संपरिवुडा सव्विड्ढीए जाव रवेणं सएहितो सहितो नयरहितो पडिनिक्खमह, पडिनिक्खमित्ता ममं अंतियं पाउन्भवह ॥७७।।
छाया-ततः खलु स कूणिको राजा कालादीन् दश कुमारान् एवा वादीत्-गच्छत खलु यूयं देवानुप्रियाः ! स्वकेषु राज्येषु प्रत्येक प्रत्येकं स्नाता यावत् प्रायश्चित्ताः हस्तिस्कन्धवरगताः प्रत्येक प्रत्येकं त्रिभिर्दन्तिसहस्रः, एवं त्रिभी रथसहस्रः, त्रिभिरश्वसहस्रः, तिसृभिर्मनुष्यकोटिभिः सार्द्ध संपरिवृता सर्वद्धां यावद्-रवेण स्वकेभ्यः स्वकेभ्यो नगरेभ्यः प्रतिनिष्कामत, प्रतिनिष्क्रम्य ममान्तिकं प्रादुर्भवत ।।७७॥
पदार्थान्वयः-तएणं-तत्पश्चात्, से कूणिए राया-वह राजा कूणिक, कालाईए दस कुमारे-कालादि दश कुमारों को, एवं वयासो-इस प्रकार बोला, गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पियाहे देवानुप्रिय आप जाओ, सएस सएसु रज्जेसु-अपने - अपने राज्यों में, पत्तेयं पत्तेयं ण्यायाप्रत्येक प्रत्येक स्नान कर, जाव-यावत. पायच्छित्ता-शुद्ध होकर, हत्थिखन्धवरगया-हस्तिस्कंध होकर अर्थात हाथियों पर सवार होकर, पत्तेयं पतयं तिहि दंतिसहस्सेहि-प्रत्येक-प्रत्येक तीन हजार हाथियों के साथ, एवं-इस प्रकार, तिहि रह सहस्सेहि-तीन-तीन हजार रथों के साथ, तिहि आससहस्सेहि-तीन-तीन हजार अश्वों के साथ, तिहि मणुस्स कोड़ोहि-तीन-तीन करोड़ मनुष्यों (सैनिकों) के साथ, संपरिबुडा-संपरिवृत हुए, घिरे हुए, सविडोए जाव रवेणं-सर्व ऋद्धि से युक्त होकर यावत् वाद्य यंत्रों के विभिन्न शब्दों के साथ, सहिता सएहिता-अपने-अपने, नयरोहितो-नगरों से, पडिनिक्खमह पडिनिक्खमइत्ता-निकले और निकल कर, ममं अन्तियं पाउम्भवह-मेरे समीप प्रकट हो जामो, अर्थात् मेरे पास पहुच जायो।।७७।।
- मूलार्थ-तत्पश्चात् वह राजा कोणिक कालादिक दश कुमारों को इस प्रकार कहने लगा-“हे देवानुप्रिय! आप लोग अपने-अपने राज्यों में जाओ, वहां जाकर प्रत्येक