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________________ वर्ग-प्रथम ] ( १२२) [निरयावलिका पदार्थांन्वय:-तएणं-तत्पश्चात्, से दूए-वह दूत, कणियरस रन्नो-कोणिक राजा को. वद्धावेत्ता-वधाई देकर, एवं वयासी-इस प्रकार कहने लगा. चेडए राया-राजा चेटक. आणवेइ-भाव प्रकट करता है कि, जह चेत्र णं देवाणुपिया-निश्चय ही हे देवानुप्रिय जैसे, कूणिए राया-कोणिक राजा, सेणियस्स रन्नो पुत्ते-श्रेणिक राजा का पुत्र, चेल्लणाए देवीए अत्तए-चेलना देवी का आत्मज है, जाव०-यावत्, वेहल्लं कुमारं पेसेमि-वेहल्ल कुमार को भेजता हूं, त न देई णं सामी-तो हे स्वामी ऐसा प्रतीत होता है कि वह नहीं देगा, चेडए राया-चेटक राजा, सेयणगं गन्धहत्थि-सेचनक गन्धहस्ती को और, अट्ठारसबंक हारं-अठारह लड़ियों वाला हार, वेहल्लं कुमारं नो पेसेइ - वेहल्ल कुमार को भी वापिस नहीं भेजेगा ।।७१॥ मूलार्थ-तत्पश्चात् वह दूत कोणिक राजा को जय-विजय के साथ वधाई देकर इस प्रकार कहने लगा-“हे देवानुप्रिय ! निश्चय ही राजा चेटक यह भाव प्रकट करता है कि कोणिक राजा श्रेणिक राजा का पुत्र, चेलना देबी का आत्मज है यावद् मैं वेहल्ल कुमार को भेजदूंगा, तो हे स्वामी! चेटक राजा सेचनक गंधहस्तो व अठारह लड़ियों वाले हार को वापिस नहीं करेगा और वेहल्ल कुमार को वापिस नहीं भेजेगा (ऐसा प्रतीत होता है) ॥७१॥ टीका-प्रस्तुत सूत्र में दूत ने वैशाली नरेश द्वारा दिये गए उत्तर का वर्णन अपने स्वामी राजा कोणिक से किया है । दूत का यह उत्तर दूत की निर्भयता का चित्रण करता है। उत्थानिका-दूत के उत्तर को सुनकर राना कोणिक ने क्या किया उसे आगे कहते हैं मूल-तएणं से कूणिए राया तस्स यस्स अंतिए एयमट्ठ सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तच्चं दूयं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वघासी-गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! वेसालीए नयरीए चेडगस्स रन्नो वामेणं पाएणं पायपीढं अक्कमाहि, अक्कमित्ता कुंतग्गेणं लेहं पणावेहि, पणावित्ता आसुरत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहटु चेडगं रायं एवं वदाहि-हं भो चेडगराया ! अपत्थियपत्थया ! दुरंत जाव-परिवज्जिया! एस णं कणिए राया आणवेइ-पच्चप्पिणाहि णं कूणियस्स रन्नो सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसबंकं च हारं वेहल्लं च
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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