________________
बर्ग - प्रथम ]
[ निरयावलिका
पदार्थान्वयः - तएणं तत्पश्चात्, से वेहल्ले कुमारे- वह वेहल्ल कुमार, कूणियं रायं एवं वयासी—कोणिक राजा को इस प्रकार बोला, एवं खलु सामी - हे स्वामी इस प्रकार निश्चय ही, सेणिणं रन्ना - राजा श्रेणिक ने, जोवतेणं चेव - जीवित अवस्था में ही मुझे, सेयणए गंधहत्थीसेचनक गन्धहस्ती (और), अट्ठारसबंक य हारे दिन्ने अठारह लड़ियों वाला हार दिया था, तं जह णं सामी - इसलिये हे स्वामी मंदि, तुम्भे-प्राप, ममं रज्जस्स- मुझे राज्य का, य-और, जणवयस्स य - जनपद का अद्धं बलइ - आधा भाग देवें, तो णं अहं - तो मैं, तुम्भ-आपको, सेयणयं गंधहस्थि - सेचनक गन्धहस्ती, च- ओर, अट्ठारसबंक च हारं - अठारह लड़ियों वाला हार, दलयामि - दे देता हूं।
तणं - तत्पश्चात् से कूणिए राया- वह कोणिक राजा, वेहल्लस्स - वेहल्ल कुमार के, एतमट्ठ - - इस अर्थ (बात को सुन कर नो आढाइ-न तो उसकी बात को आदर देता है, नो परिजाणइ - न उसकी बात मानता है, अभिक्खणं - अभिक्खणं - बार-बार, सेयंणयं गंधहस्थ- सेचनक गन्धहस्ती; अट्ठारसबंक हारं - अठारह लड़ियों वाला हार, जायइ-मांगता है।
( १०६ )
मूलार्थ - तत्पश्चात् उस वेहल्ल कुमार ने कोणिक राजा को सम्बोधित करते हुए इस प्रकार कहा - " हे स्वामी ! निश्चय ही मुझे राजा श्रेणिक ने अपने जीवन-काल में सेचनक गंधहस्ती और अठारह लड़ियों वाला हार दिया था, ( अगर आप इन्हें पाना ही चाहते हैं तो ) हे स्वामी ! आप मुझे राज्य का और जनपद का आधा-आधा भाग दे दें, तो मैं आपको सेचनक गंधहस्ती और अठारह लड़ियों वाला हार दे सकता हूं ।
तत्पश्चात् राजा कोणिक वेहल्ल कुमार की बात को आदर सम्मान न देता हुआ सेचनक गंधहस्ती व अठारह लड़ियों वाले हार की पुनः पुनः याचना करता है ।
टीका - प्रस्तुत सूत्र में बेहल्ल कुमार की प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है। जब वेहल्ल कुमार से राजा कोणिक ने सेचनक गन्धहस्ती और अठारह लड़ियों वाला हार मांगा तो वेहल्ल कुमार ने उत्तर दिया - हे स्वामी ! ये दोनों वस्तुएं पित। श्री ने मुझे अपने जीवन काल में ही दे दी थीं । इस प्रकार इन वस्तुओं पर मेरा ही अधिकार है। अगर आप इन वस्तुओं को लेना ही चाहते हैं तो मुझे राज्य व जनपद का आधा भाग प्रदान करें, तभी आप ये वस्तुयें ले सकते हैं, अन्यथा नहीं ।
वेल्ल कुमार का उत्तर न्याय संगत था, परन्तु कोणिक अपनी पटरानी की इच्छा पूर्ति के विरुद्ध कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था ।
वेहल कुमार के कथन का कोणिक पर कोई प्रभाव न पड़ा। वह अपनी बात पर अडिग
रहा ।
प्रस्तुत सूत्र में कोणिक के राज-हठ व स्त्री सम्बन्धी आकर्षण का सूत्रकार ने सुन्दर चित्रण
किया है।