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________________ निरयावलिका] (८५) [वर्ग-प्रथम मूलार्थ-तत्पश्चात् काल कुमार आदि दसों राज कुमार, कूणिक कुमार के उन विचारों को विनय-पूर्वक ध्यान से सुनते हैं। कुछ दिन बाद कूणिक कुमार को राजा श्रेणिक के कुछ आन्तरिक रहस्य मालूम हो गये, उन्हें जानकर उसने राजा श्रेणिक को हथकड़ियों और बेड़ियों से बांध दिया (और कारागार में बन्द कर दिया), ऐसा करके उसने विशाल महोत्सव के साथ स्वयं ही अपना राज्याभिषेक करवा लिया । तब वह कूणिक कुमार बहुत बड़ा राजा बन गया ॥४९।। टीका-प्रस्तुत सूत्र में यह बतलाया गया है कि कूणिक कुमार ने अपने काल कुमार आदि दस भाइयों को राज्य का एवं स्वतन्त्र होकर राज्य-वैभव के उपभोग का लोभ देकर अपनी तरफ मिला लिया, जिससे वे भविष्य में उसका विरोध न कर सकें। यह भी ध्वनित हो रहा है कि संसार के सभी सम्बन्ध तभी तक हैं जब तक मनुष्य स्वार्थी बन कर लोभाविष्ट नहीं हो जाता, लोभावेश में आते ही वह सभी सम्बन्धों को भूल कर बड़ से बड़ा अनर्थकारी कार्य करने के लिये भी प्रस्तुत हो जाता है। कुणिक ने राज्यलोभ में आकर अपने हितकारी एवं पूज्य पिता को भी कैद ही नहीं किया, अपितु उन्हें लोह-बन्धनों से बांध भी दिया ।४६। मूल-तए णं से कणिए राया अन्नया कयाइं ण्हाए जाव सव्वालंकार-विभूसिए चेल्लणाए देवीए पायवंदए हव्वमागच्छइ । तएणं से कूणिए राया चेल्लणं देवि ओहय० जाव झियायमाणि पासइ, पासित्ता चेल्लणाए देवीए पायग्गहणं करेइ, करिता चेल्लणं देवि एवं वयासी-कि णं अम्मो ! तम्हं न तुट्ठी व न ऊसए वा न हरिसे वा नाणंदे वा, जं णं अहं सयमेव रज्जसिरिं जाव विहरामि ? ॥५०॥ छाया-ततः खलु स कूणिको राजा अन्यदा कदाचित् स्नातः यावत् सर्वालङ्कारविभूषितश्चेलनाया देव्याः पादवन्दको हव्वमागच्छति। ततः खलु स कूणिको राजा चेल्लनां देवीम् अपहत० यावद ध्यायन्ती पश्यति, दृष्ट्वा चेल्लनाया देव्याः पादप्रहणं करोति, कृत्वा, चेल्लनां देवीमेवमवादीत्-किं खलु अम्ब ! तव न तुष्टिा नोत्सवो वा न हर्षो वा नानन्दो वा ? यत्खलु अहं स्वयमेव राज्यश्रियं यावद् विहरामि ॥५०॥
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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