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________________ वर्ग-प्रथम] (८०) [निरयावलिका प्रायः गृहस्थ बच्चे का नाम उसके गुणों के अनुरूप रक्खा करते थे, क्योंकि मुर्गे ने इनके बच्चे की अंगुलि कूणित अर्थात् आहत कर दी थी, अतः उसका नाम 'कूणिक" ही रखा। तत्कालीन रीति-रिवाजों के ज्ञान के लिये प्रस्तुत सूत्र महत्वपूर्ण है ।।४५॥ मूल-तएणं तस्स कूणियस्स अणुपूवेणं ठिइवडियं च जहा मेहस्य जाव उप्प पासायवरगए विहरइ, अट्ठट्ठओ दाओ ॥४६॥ छाया-ततः खलु तस्य कूणिकस्यानपूर्वेण स्थितिपतितं च यथा मेघस्य यावत् उपरि प्रासादवरगतो विहरति । अष्ट दायाः॥४६॥ पदार्थान्वयः-तएणं-तदन्तर, तस्स कूणियस्स-उस राजकुमार कूणिक के, अणपुग्वेणंक्रमशः, ठिइवडियं च-कुल क्रमागत सभी उत्सवादि, जहा मेहस्स-जैसे मेघ कुमार के हुए थे, जाव०-यावत् युवावस्था में प्राप्त होकर, उप्पि पासायवरगए-अपने राज-महलों के ऊपर, विहरइ-आमोद-प्रमोद करता है, अट्ठट्ठओदाओ-(आठ कन्याओं के साथ उसका विवाह हुमा और) उसे आठ-आठ वस्तुएं दहेज के रूप में प्राप्त हुई ।।४६॥ . मूलार्थ-तदनन्तर उस राजकुमार कुणिक के क्रमशः कुल - परम्परागत सभी महोत्सव आदि हुए, जैसे शास्त्रों में मेघ कुमार के (विवाह आदि का वर्णन प्राप्त होता है वेसे ही उसका) आठ कन्याओं के साथ विवाह हुआ और उसे आठ-आठ वस्तुयें प्रीतिदान (दहेज के रूप में प्राप्त हुईं ॥४६।। टीका-किसी बात का बार-बार वर्णन न करके किसी भी अन्य आगम में वर्णित विषय जैसा कह कर शास्त्रकार लौकिक विषय को अधिक विस्तार नहीं देते । यह संक्षेप - शैली आगमों की अपनी विशेषता है, अतः राजकुमार कुणिक के विवाह का विस्तृत वर्णन न करके "मेघ कुमार के समान" कह दिया गया है। "ठिइवडियं"-"स्थिति-पतितं" कह कर शास्त्रकार ने गृहस्थों के लिये कुल-परम्पराओं का पालन आवश्यक बतलाया है, क्योंकि "संस्कार" बालकों को सुसंस्कृत बना देते हैं । यहां दहेज के लिये "प्रीतिदान" शब्द का प्रयोग किया गया है। जिससे यह ध्वनित होता है कि कन्या के माता-पिता प्रसन्नता पूर्वक कन्या को जो चाहे दें, किन्तु आज कल की तरह कन्यापक्ष के समक्ष कोई मांग (डिमांड) नहीं रखी जानी चाहिये।
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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