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वर्ग - प्रथम ]
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[ निरयावलिका
वह मांसाहार नहीं करती थी, केवल गर्भस्थ दुष्ट जीव के प्रभाव से वह मांसाहार में प्रवृत्त हुई । गर्भपात भी एक महापाप है, उसके गर्भ में क्रूर कर्मी जीव होने से उसने यह कुकृत्य भी किया, किन्तु गर्भस्थ जीव के आयुष्य-कर्म की प्रबलता ने उस पर किसी भी औषधि का प्रभाव नहीं पड़ने दिया, क्योंकि आयुष्य कर्म को कोई मिटा नहीं सकता ।
वह ऐसे दुष्ट बालक की माता नहीं बनना चाहती थी, किन्तु गर्भपात के सभी उपायों में विफल होने पर उसे दुःखी होकर अनिच्छा-पूर्वक उस गर्भ को धारण किए रहना पड़ा और उसने यथासमय एक बालक को जन्म दिया ||४० ॥
मूल- तएणं ती से चेल्लणाए देवीए इमे एयारूवे जाव समुप्यज्जित्थाजइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उदरवलिमंसाई खाइयाई, तं न नज्जइ णं एस दारए संवड्ढमाणे अम्हं कुलस्स अंतकरे भविस्सs, तं सेयं खलु अम्हं एवं दारगं उक्कुरुडियाए उज्झावित्त एवं संपेहेइ, संपेहित्ता दासचेंड सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- गच्छ णं तुमं देवाणुपिए ! एवं दारगं एगंते उक्कुरुडियाए उज्झाहि । । ४१॥
छाया - ततः खलु तस्याश्चेल्लनाया देव्या अयमेतद्र पो यावत् समुद्धत - यदि तावत् अनेन दारकेण गर्भगतेन चैव पितुरुदरवलिमांसानि खादितानि तन्न ज्ञायते खलु एष दारकः संवर्द्धमानः अस्माकं कुलस्यान्तकरो भविष्यति, तच्छ्रयः खलु अस्माकम् एनं वारकमेकान्ते उत्कुरुटिकायामुज्झितुम्, एवं संप्रेक्षते, संप्रेक्ष्य दास चेटीं शब्दयित्वा एवमवादीत् - गच्छ खलु त्वं देवानुप्रिये ! एनं दारंकमेकान्ते उत्कुरुटिकायामुज्झ ॥४१॥
पदार्थान्वयः - तए गं तीसे चेलण्णाए देवीए - तत्पश्चात् उस चेलना देवी के, इमे एयारुवेइस प्रकार का विचार, जाव० - यावत् समुप्पज्जित्था - उत्पन्न हुआ, जइ ताव० – क्योंकि, इमेणं वारएणं - इस बालक ने, गन्भं गएणं चेब--- गर्भ में रहते हुए निश्चय ही, पिडणो-पिता के, उदरवलि मंसाई - उदरवली अर्थात् कलेजे के मांस को, खाइयाइं - खाया है, तं न नज्जइ णंक्या इससे यह आभास नहीं हो रहा कि, एसदारए संवड्ढमाणे- यह बालक बड़ा होने पर, अम्ह कुलस - हमारे कुल का, अंतकरे भविस्सइ - प्रन्त करने वाला होगा, तं सेयं खलु - अतः इसी में (हमारा श्रेय है, अम्हं एवं दारगं - कि हम इस बालक को एगन्ते - किसी एकान्त स्थान में, उक्कुरुडिए - कूड़े-करकट के ढेर पर, उज्झावित्तए - फेंक विचार करने लगी, संपेहित्ता - (मोर) विचार करके,
दें,
एवं संपेहेइ - ( वह ) इस प्रकार दासचेंड— अपनो चाकर दासी को,