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निरयावलिका ।
( ४३ )
[ वर्ग - प्रथम
अभय नामक राजकुमार था जो साम दाम दण्ड भेद नामक चारों राजनीतियों में कुशल था और चित्त नामक सारथी के समान समस्त राज्य का शुभ चिन्तक भी था ॥ २३ ॥
टीका - इस सूत्र में राज कुमार अभय का वर्णन किया गया है कि वह राजा श्रेणिक की नन्दा नामक महारानी का पुत्र और कुशल राजनीतिज्ञ भी था । अभय कुमार का विशद परिचय “ज्ञाता धर्म कथाङ्ग सूत्र” में प्रथम अध्ययन के सातवें सूत्र में विस्तार से दिया गया है, जिसका भाव यह है कि
उस राजा श्रेणिक की महारानी नन्दा का अभय कुमार नामक पुत्र था जो पांचों इन्द्रियों से परिपूर्ण तथा शुभ लक्षणों एवं व्यञ्जनों से युक्त था । उसका शरीर मान- उन्मान की दृष्टि से उपयुक्त एवं उसके सभी अङ्ग अत्यन्त सुन्दर थे । वह चन्द्र के समान सौम्याकार कान्त और प्रियदर्शी था । सुरूप एवं साम-दाम-दण्ड-भेद - इन चारों नीतियों के प्रयोग में कुशल था । ईहा, अपोह, अन्वय और व्यतिरेक आदि रूप विचार-शक्ति में निपुण था । उसकी बुद्धि अर्थ - शास्त्र में भी निपुणता प्राप्त किये हुए थी । औत्पातिकी, वैनेयकी, कार्मिकी और पारिणामिकी चार प्रकार की बुद्धि से युक्त था । राजा श्रेणिक समस्त राज्य कार्यों, पारिवारिक कार्यों, कौटुम्बिक मन्त्रणाओं, गुप्त कार्यों और रहस्यमयी वार्ताओं में उसकी सलाह अवश्य लेता था। वह राजा का आलम्बन-रूप, चक्षु-रूप, प्रमाण रूप और आधार रूप था । वह सभी कार्यों में विश्वसनीय माना जाता था । उसे सभी स्थानों पर जाने की खुली छूट थी । वह राज्य का शुभ चिन्तक था। वह राजा श्रेणिक के राज्य, राष्ट्र-कोष, कोष्ठागार, बल, वाहन, नगर और अन्तःपुर सब को स्वयमेव देखता हुआ विचरता था ।
उत्थानिका - अब सूत्रकार पुनः इसी विषय में कहते हैं
मूल- तस्स णं सेणियस्स रन्नो चेल्लणा नामं देवी होत्या, सोमाला व- विहरइ ॥ २४ ॥
जाव
छाया - तस्य खलु श्र ेणिकस्य राज्ञः चेलना नाम्नी देवी आसीत्, सुकुमारा यावत् विहरति ॥ २४
पदार्थाश्वय. ---तस्स णं—उस, सेणियस्स-श्रेणिक, रन्नो- राजा की चेलना नाम की, देवी होत्था - एक रानी थी, (जो) सोमाला - सुकुमारी, (नाना) यावत् - सुखों का अनुभव करती हुई, विहरइ - विचरती थी ।
मूलार्थ - -उस राजा श्रेणिक की एक रानी चेलना भी थी, जो सुकुमारता आदि नाना स्त्रियोचित गुणों से युक्त थी और सुखोपभोग करती हुई विचरती थी ॥ २४ ॥
टीका - इस सूत्र में महारानी बेलना का परिचय दिया गया है कि वह महाराजा चेटक