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________________ वर्ग-प्रथम | (४२) निरयावलिका नाम का नगर था जो सुन्दर भवनों से युक्त और सभी प्रकार के भयों से रहित एवं धन-धान्य से परिपूर्ण एवं समृद्धिशाली था। उस नगर में एक श्रेणिक नाम का राजा राज्य करता था जिसकी नन्दा नाम की महारानी थी जो अत्यन्त सुकुमार सभी इन्द्रियों के विषयों का सुख भोग रही थी। ____इस सूत्र में “होत्या”—“आसीत्” इस भूतकाल की क्रिया के द्वारा यह निर्दिष्ट किया गया है कि अवसर्पिणी काल में समय-समय पर सभी शुभ पदार्थ ह्रास को प्राप्त होते रहते हैं। "रिद्धस्थिमिय-समिद्धा”– इस पद से नगर की सुन्दरता प्रदर्शित की गई है और यह भी प्रदर्शित किया गया है कि भय-मुक्त नगर ही उन्नति के शिखरों पर पहुंच सकता है। "नंदा नामं देवी"-इस पद में नन्दा के साथ "देवी" विशेषण देकर सूत्रकार ने यह सिद्ध किया है कि महारानी नन्दा प्रमोद-क्रीड़ा आदि गुणों से भी सम्पन्न थी। "सोमाला" पद से यह सूचित किया गया है कि स्त्रियोचित सभी गुण उसमें पूर्ण रूप से विद्यमान थे। अराजकता ही विनाश का कारण है, इसलिये प्रजा को न्यायशील राजा की आवश्यकता रहती है, अतः "राज्ञः" एवं "सेणियस्स" इन शब्दों द्वारा यह निर्दिष्ट करने का प्रयत्न किया गया है कि राजा श्रेणिक एक न्यायशील शासक राजगृह पर राज्य कर रहा था। उत्थानिका--अब सूत्रकर्ता पुनः इसी विषय में कहते हैं मूल-तस्स णं सेणियस्स रन्नो नंदाए देवीए अत्तए अभए नामं कुमारे होत्था, सोमाले जाव सुरूवे साम-दाम-दण्ड-भेद-कुसले जहा चित्तो जाव रज्जधुराए चितए यावि होत्था ॥२३॥ छाया-तस्य खलु श्रेणिकस्य राज्ञः नन्दायाः देव्याः आत्मजः अभयो नाम कुमारोऽभवत् सुकुमारः यावत् सुरूपः साम-दाम-दण्ड-भेव-कुशलः, यावत् राज्य-धुरायाश्चिन्तकश्चापि अभवत् ॥२३॥ पदार्थान्वयः-तस्य णं-उस, सेणियस्स-श्रेणिक, रन्नो-राजा की, नंदा देवीए अत्तएनन्दा देवी का आत्मज अर्थात् पुत्र, अभय नाम कुमारे होत्था-अभय नामक कुमार था, सोमाले - (जो) सुकुमार, जाव-यावत्, सुरूवे-सुन्दर रूप वाला, (और) साम-दाम-दंड-भेद-कुसलेसाम-दाम-दण्ड-भेद नामक चारों नीतियों में कुशल था, जहा चित्तो-जैसे चित्त नामक सारथी थ वैसे ही वह, रज्जधुराए चितए-राज्य का शुभ-चिंतक, यावि-भी, होत्था—था ॥३३।। मूलार्थ-उस राजा श्रेणिक की महारानी नन्दा देवी का आत्मज अर्थात् पुत्र
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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