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________________ बर्ग-प्रथम ] (३०) [ निरवलिका सूत्रम् विहरमाणा आणाए आराहए भवइ ।१५॥ छाया-ततः णं श्रमणो भगवान महावीरः यावत् काल्याः देव्याः तस्याः महातिमहत्याः (धर्मकथायाः नेतव्याः) भाणितव्या यावत् श्रमणोपासकः वा श्रमणोपासिका वा विहरमाणा आज्ञायाः आराधको भवति । पदार्थान्वयः-तए णं-तत्पश्चात्, सम्णे भगवं-श्रमण भगवान महावीर, जाव-यावत्अर्थात् मोक्षगामी, कालीए देवीए- महारानी काली देवी को लक्ष्य में रखकर, तीसे य-और उस महातिमहालयाए-अत्यन्त. विशाल परिषद् में, धम्मकहा- धर्म-कथा (धर्मोपदेश), भाणियव्वासुनाई, जाव-यावत् (प्रागार अनगार धर्म की शिक्षा में तत्पर), समणोवासएश्रमणोपासक (श्रावक), वा-अथवा, समणोवासिया-श्रमणोपासिका (श्राविका), विहरमाणाविचरते हुये, आणाए-आज्ञा के, आराहए-आराधक (प्राज्ञा का पालन करने वाले), भवइहोते हैं। . मूलार्थ-तत्पश्चात् मोक्षगामी भगवान् महावीर स्वामी ने महारानी काली देवी एवं उस विशाल धर्म-सभा को ऐसी धर्म-कथा सुनाई, जिसको श्रवण कर श्रावक एवं श्राविकायें धर्म में स्थिर रहकर जीवन-पथ पर चलते हुए (विहरमाणा) प्रभु की आज्ञा के आराधक-पालन करने वाले होते हैं। टीकाः- इस सूत्र में श्री भगवान महावीर की (धर्मोपदेठा) कथा के विषय में वर्णन किया गया है, जैसे कि जब काली देवी और विशाल धर्म-परिषद् उस उद्यान में एकत्र हुई, तब भगवान महावीर ने धर्म कथा-वर्णन की, यावत् साधु-धर्म वा श्रावक धर्म का वर्णन किया। अन्त में यह बतलाया जो इस धर्म की पूर्णतया अाराधना करता है, वह प्रभु की आज्ञा का आराधक हो जाता है। धर्मकथा का पूर्ण विवरण औपपातिक सूत्र से जानना चाहिये। इस स्थान पर तो केवल संक्षिप्त वर्णन किया गया है। उत्थानिका- अब सूत्रकार उक्त विषय में और वर्णन करते हैं :__मूलम्-तए णं सा काली देवी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्मजावहियया समणं भगवं महावीरं तिक्ख़त्तो जाव एवं वयासी-एवं खलु भंते ! मम पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहसेहि जाव रहमुसलसंगाम "ओयाए, से णं किं जइस्सइ ? नो जइस्सइ? जाव काले णं कुमारे अहं जीवमाणं पासिज्जा? । कालीत्ति समणे भगवं
SR No.002208
Book TitleNirayavalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Swarnakantaji Maharaj
Publisher25th Mahavir Nirvan Shatabdi Sanyojika Samiti Punjab
Publication Year
Total Pages472
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, & agam_vrushnidasha
File Size10 MB
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