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________________ २९८ श्री आचारांग सूत्रम्, द्वितीय श्रुतस्कन्ध पकाया गया है। क्योंकि, आहार ६ काय के आरम्भ से बनता है, अतः उसकी प्रशंसा एवं सराहना करना ६ कायिक जीवों की हिंसा का अनुमोदन करना है और साधु हिंसा का पूर्णतया अर्थात् तीन करण और तीन योग से त्यागी होता है। अतः इस प्रकार की भाषा बोलने से उसके अहिंसा व्रत में दोष लगता है। इस कारण संयमनिष्ठ मुनि को ऐसी सावध भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि कभी प्रसंगवश कहना ही हो तो वह ऐसा कह सकता है कि यह आरम्भीय (आरम्भ से बना हुआ) है, सरस, वर्ण, गन्ध, रस एवं स्पर्श वाला है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि साधु उसके यथार्थ रूप को प्रकट कर सकता है, परन्तु, सावध भाषा में आहार आदि की प्रशंसा एवं सराहना नहीं कर सकता। . इस विषय को और स्पष्ट रते हुए सूत्रकार कहते हैं मूलम्-से भिक्खूवा भिक्खुणी वा मणुस्संवा गोणं वा महिसंवा मिगं वा पसुंवा पक्खि वा सरीसिवं वा जलचरं वा सेत्तं परिवूढकायं पेहाए.नो एवं वइज्जा-थूले इ वा पमेइले इ वा वट्टे इ वा वझे इ वा पाइमे इ वा, एयप्पगारं भासं सावजं नो भासिज्जा॥ सेभिक्खू वा भिक्खुणी वा मणुस्संवा जाव जलयरं वासेत्तं परिवूढकायं पेहाए एवं वइज्जा-परिवूढकायेत्ति वा उवचियकाएत्ति वा थिरसंघयणेत्ति वा चियमंससोणिएत्ति वा बहुपडिपुन्नइंदिएत्ति वा एयप्पगारं भासं असावजं जाव भासिजा।से भिक्खूवा २ विरूवरूवाओ गाओ पेहाए नो एवं वइजा, तंजहागाओ दुग्झाओत्ति वा दम्मेत्ति वा, गोरहत्ति वा वाहिमत्ति वा रहजोग्गत्ति वा, एयप्पगारं भासं सावजं जाव नो भासिज्जा। से भि० विरूवरूवाओ गाओ पेहाए एवं वइजा, तंजहा-जुवंगवित्ति वा धेणुत्ति वा रसवइत्ति वा हस्से इ वा महल्ले इ वा महव्वए इ वा संवहणित्ति वा, एयप्पगारं भासं असावजं जाव अभिकंख भासिज्जा। से भिक्खू वा तहेव गंतुमुजाणाइं पव्वयाई वणाणि वा रुक्खा महल्ले पेहाए नो एवं वइज्जा, तं-पासायजोग्गात्ति वा तोरणजोग्गाइ वा गिहजोग्गाइ वा फलिहजो० अग्गलजो० नावाजो० उदग० दोणजो० पीढचंगबेरनंगलकुलियजंतलट्ठीनाभिगंडीआसणजो सयणजाणउवस्सयजोग्गाइं वा, एप्पगारं० नो भासिज्जा॥ से भिक्खू वा तहेव गंतु एवं वइजा, तंजहा-जाइमंता इ वा दीहवट्टाइ
SR No.002207
Book TitleAcharang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages562
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size13 MB
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