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तृतीय अध्ययन, उद्देशक ३ छाया-भिक्षुर्वा० आचार्योपाध्यायैः सार्धं ग्रामानुग्रामं गच्छन्न आचार्योपाध्यायस्य हस्तेन वा हस्तं यावत् अनासादमानः ततः संयतमेव आचार्योपाध्यायैः सा यावत् गच्छेत्।स भिक्षुर्वा भिक्षुकी वा आचार्योपाध्यायैः सार्धं गच्छन् अन्तराले तस्य प्रातिपथिका उपागच्छेयुः ते प्रातिपथिकाः एवं वदेयुः आयुष्मन्तः श्रमणाः ! के यूयम् ? कुतो वा आगच्छथ ? कुत्र वा गमिष्यथ ? यः तत्र आचार्यों वा उपाध्यायो वा स भाषेत वा व्यागृणीयाद्वा आचार्योपाध्यायस्य भाषमाणस्य व्यागणतः वा नो अंतरा-मध्ये भाषां कुर्यात्, ततः संयतमेव यथा रात्निकैः सार्द्ध गच्छेत्। स भिक्षुर्वा भिक्षुकी वा यथारात्निकं ग्रामानुग्रामं गच्छन् न रालिकस्य हस्तेन हस्तंयावत् अनासादमानः ततः संयतमेव यथारालिकं ग्रामानुग्रामं गच्छेत्। स भिक्षुर्वा भिक्षुकी वा यथा रात्निकं ग्रामानुग्रामं गच्छन् अन्तराले तस्य प्रातिपथिका उपागच्छेयुः, ते प्रातिपथिकाः एवं वदेयुः आयुष्मन्तः श्रमणाः ! के यूयं ? यस्तत्र सर्वरानिकः स भाषेत व्यागृणीयात् वा रालिकस्य भाषमाणस्य वा व्यागृणतः वा न अन्तराले भाषां भाषेत ततः संयतमेव यथारात्निकैः सार्द्ध ग्रामानुग्रामं गच्छेत्।
पदार्थ-से भिक्खू वा०-वह साधु अथवा साध्वी। आयरियउवज्झाएहिं-आचार्य और उपाध्याय के।सद्धिं-साथ।गामा०-एक ग्राम से दूसरे ग्राम को। दूइज्जमाणे-विहार करता हुआ।आयरियउवज्झायस्सआचार्य और उपाध्याय के। हत्थेण हत्थं-हाथ से हाथ। जाव नो०-यावत् स्पर्श न करे अर्थात् हाथ से हाथ पकड़ कर न चले।जाव-यावत्।अणासायमाणे-आशातना न करता हुआ।तओ-तदनन्तर।संजयामेव-यलापूर्वक। आयरियउवग्झाएहि-आचार्य और उपाध्याय के। सद्धिं-साथ। जाव-यावत्। दूइजिजा-गमन करे-विहार करे।
से भिक्खूवा-वह साधुअथवा साध्वी।आय-आचार्य और उपाध्याय के।सद्धिं-साथ।दूइजमाणेगमन करते हुए। अतंरा से-उसके मार्ग में यदि कोई। पाडिवहिया-पथिक। उवागच्छिज्जा-सामने आ जाए। णं-और।ते-वह। पाडिवहिया-पथिक। एवं-साधु को इस प्रकार। वइजा-कहे।आउसंतो समणा-आयुष्मन्श्रमण ! के तुब्भे-आप कौन हैं ? कओ वा एह-कहां से आ रहे हो? कहिं वा गच्छिहिह-कहां पर जाएंगे, तो। तत्थ-वहां पर। जे-जो।आयरिए-आचार्य। वा-या। उवज्झाए वा-उपाध्याय हैं तो। से-वह। भासिज्जा-उसे उत्तर दें या। वियागरिजा-विशेष प्रकार के उत्तर दें तब।आयरियउवज्झायस्स-आचार्य अथवा उपाध्याय के। भासमाणस्स-उत्तर देते हुए या। वियागरेमाणस्स-विशिष्ट उत्तर देते हुए वह साधु। अंतरा-बीच में। नो भासं करिजा-किसी प्रकार का उत्तर प्रत्युत्तर न करे अर्थात् बीच में न बोले।तओ-तदनन्तर।सं-साधु।अहाराइणिए वा-यथारत्नाधिक के साथ। दूइजिज्जा-गमन करे।
से भिक्खू वा-वह साधु या साध्वी। अहाराइणियं-रत्नाधिक के साथ। गामा०-ग्रामानुग्राम। दूःविहार करता हुआ। राइणियस्स-रलाधिक के। हत्थेण-हाथ से। हत्थं-हाथ को। नो-स्पर्श न करे। जावयावत्। अणासायमाणे-आशातना न करता हुआ। तओ-तदनन्तर। सं०-साधु। अहाराइणियं-रत्नाधिक के