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________________ 818 श्री आचाराङ्ग सूत्र, प्रथम श्रुतस्कंध सुगम नहीं थी, अर्थात् सामान्य साधक इतनी उत्कृष्ट साधना नहीं कर सकता था। हिन्दी-विवेचन प्रस्तुत गाथा में भगवान महावीर की साधना का उल्लेख किया गया है। इसमें बताया है कि भगवान सदा सभी प्राणियों पर समभाव रखते थे। उनका किसी भी प्राणी के प्रति रागद्वेष नहीं था। वे न तो किसी के वन्दन-अभिवादन आदि से प्रसन्न होते थे और न किसी के द्वारा मान-सम्मान या वन्दन न मिलने पर उस पर क्रुद्ध ही होते थे। जब भगवान अनार्य देश में गए तो वहां के लोग भगवान की साधना से परिचित नहीं थे। वे धर्म के मर्म को नहीं जानते थे। अतः वे भगवान का मखौल उड़ाते, उन्हें गालियाँ देते, उनके शरीर पर डंडों से प्रहार करते और उनके ऊपर शिकारी कुत्तों को छोड़ देते थे। इस तरह वे अबोध प्राणी भगवान को घोर कष्ट देते। फिर भी भगवान महावीर उन पर कभी क्रोध नहीं करते। वे समभावपूर्वक समस्त परीषहों को सहते हुए विचरण करते थे। ___ यह स्पष्ट है कि कृतकर्म कभी भी निष्फल नहीं जाते, चाहे तीर्थंकर हो, साधु हो, या और कोई भी व्यक्ति क्यों न हो; अपने किए हुए कर्मों का फल उसे अवश्य भोगना पड़ता है। यह बात अवश्य है कि कुछ महापुरुष उस फल को संमभावपूर्वक सहन कर लेते हैं और कुछ व्यक्ति हाय-हाय करके उसका वेदन करते हैं। जो व्यक्ति समभावपूर्वक पूर्व कर्मों का फल भोग लेता है, वह समभाव की साधना से नए कर्मों के आगमन को रोक लेता है और पुरातन कर्म को क्षय करके पथ पर बढ़ जाता है और जो आर्त-रौद्र ध्यान करता हुआ कृत कर्म के फल का संवेदन करता है, वह नए कर्मों का बन्ध करके संसार में परिभ्रमण करता रहता है। भगवान महावीर इस बात को भली-भांति जानते थे। अतः वे परीषहों को अपने कृतकर्म का फल समझकर समभाव पूर्वक भोगते रहे। ऐसा कहा जाता है कि भगवान महावीर के कर्म इस कालचक्र में हुए सब तीर्थंकरों से अधिक थे, 23 तीर्थंकरों के कर्मों का समूह और भगवान महावीर का कर्मसमूह प्रायः बराबर था। अतः उसे क्षय करने के लिए भगवान महावीर ने कठोर तप एवं अनार्य देश में विहार किया। अनार्य देश के लोग धर्म एवं साधु-जीवन से
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
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