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परन्तु भारतीय भाषा और लिपि से अनभिज्ञ ऐसे आधुनिक विद्वानों को आचारांग का सर्व प्रथम सम्पूर्ण परिचय डाक्टर हरमन जैकोबी ने कराया। उन्होंने The Sacred Book of the East Vol. 22 में इसे प्रस्तुत किया। शुब्रींलाइप्झिंग ने भी प्रथम श्रुतस्कन्ध का इंग्लिश और जर्मन में Wrote Mahavira शीर्षक से अनुवाद किया।
इस तरह प्रस्तुत आगम पर संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी, गुजराती, इंग्लिश और जर्मन आदि अनेक भाषाओं में बहुत-कुछ लिखा जा चुका है। फिर भी इस पर बहुत कुछ शोध (Research) करने की आवश्यकता है।
प्रस्तुत अनुवाद एवं व्याख्या ____ प्रस्तुत अनुवाद एवं व्याख्या स्व. आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज ने अपनी निजी पद्धति के अनुसार की है। इसमें मूल पाठ, संस्कृत-छाया, पदार्थ, मूलार्थ, हिन्दी भावार्थ और हिन्दी-विवेचन दिया गया है। श्रद्धेय आचार्य श्री जी के उत्तराध्ययन, दशवैकालिक आदि अन्य आगम भी इसी शैली में प्रकाशित हुए हैं। इससे आगम के साधारण पाठक को भी समझने में कठिनाई महसूस नहीं होती।
, -मुनि समदर्शी