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________________ पंचम अध्ययन, उद्देशक 6 641 "हैं।।' तैत्तीरय उपनिषद् में कहा है-“जहां वचन की गति नहीं है और मन भी अप्राप्य है, ऐसे आनन्द स्वरूप ब्रह्म की व्याख्या नहीं की जा सकती। इसी तरह बृहदारण्यक में भी ब्रह्म को अस्थूल, असूक्ष्म, अदीर्घ, अह्रस्व आदि माना है। निर्वाण के सम्बन्ध में बौद्ध ग्रन्थों में भी ऐसे ही विचार मिलते हैं। इस तरह इस विषय में प्रायः सबके विचारों में एकरूपता है। मोक्ष में आत्मा सर्व कर्म मल से रहित, विशुद्ध एवं एक है। उसके साथ न कर्म है और न कर्म जन्य उपाधि है। वह सब दोषों से रहित है और दुनिया के समस्त पदार्थों का ज्ञाता एवं द्रष्टा है। निष्कर्ष यह निकला कि मोक्ष में स्थित आत्मा न दीर्घ है, न ह्रस्व है, न वृत्त है, न त्रिकोण है, न चतुष्कोण है, न परिमंडल संस्थान वाला है; न कृष्ण, नील, पीत, रक्त एवं श्वेत वर्ण वाला है; न दुर्गन्ध एवं सुगन्ध वाला है; न तीक्षण, कटुक, खट्टा, मीठा एवं अम्ल रसवाला है; न गरु, लघु, कोमल, कठोर, स्निग्ध, रुक्ष, शीत एवं उष्ण स्पर्श वाला है; न स्त्री, पुरुष एवं नपुंसक वेद वाला है, अर्थात् शब्द, रूप, रस, गंध, स्पर्श आदि विशेषणों से रहित है। इसलिए मोक्ष या मुक्तात्मा को अपद कहा गया है। पद अभिधेय को कहते हैं, अतः इसका यह अर्थ हुआ कि मोक्ष का कोई भी अभिधेय नहीं है। क्योंकि वहां वाच्य विशेष का अभाव है। इसी विषय को और स्पष्ट करते हुए सूत्रकार कहते हैं . 1. यत्तदद्रेश्यमग्राह्यमवर्णमचक्षु, श्रोत्रं तदपाणिपादम् । · · नित्यं विभुं सर्वगतं सुसूक्ष्म तदव्ययं यद्भूतयोनिं पश्यन्ति धीराः॥ -मुण्डकोपनिषद् 6, 1, 6 2. यतो वाचो निवर्तन्ते अप्राप्य मनसा सह। ___ आनन्दं ब्रह्मणो विद्वान् न विभेति कदाचन॥ -तैतिरीय उपनिषद् 2; 4, 1 3. ते होवाचैतद्वैतदक्षरं गार्गिं ब्राह्मणा अभिवदन्त्यस्थूलमनण्वह्रस्वमदीर्घमलोहितमस्नेहमच्छाय मतमोऽवाय्वनाकाशमसङ्गमरसमगन्धचक्षुष्कमश्रोत्रमवागमनेऽतेजस्कनप्रणाणमुखममात्रमनन्तरमबाह्यं न तदश्नाति किंचन न तदश्नाति कश्चन। -बृहदारण्यक उपनिषद् 3, 8, 8, 4, 5, 15 4. मज्सिमनिकाय (चूलमालुक्य सुत्त) 63 संयुत्तनिकाय, 44
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
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