SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 568
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तृतीय अध्ययन, उद्देशक 1 479 के पथ पर आगे बढ़ सकता है और निर्वैरता के कारण ही वह अपनी साधना में सदा सजग रहता है। ___'दुक्खापमुक्खसि' इस पद का तात्पर्य यह है कि वैर-विरोध से निवृत्त व्यक्ति ही समस्त दुःखों से मुक्त हो सकता है। इसके विपरीत वैर-विरोध में फंसा हुआ व्यक्ति संसार में परिभ्रमण करता है। प्राणी जरा और मृत्यु के प्रहारों से प्रताड़ित हो रहा है। इससे बचने के लिए मनुष्य का आचरण कैसा होना चाहिए इसे बताते हुए सूत्रकार कहते हैं- मूलम्-पासिय आउरपाणे अप्पमत्तो परिव्वए, मंता य मइमं पास, आरंभजं दुक्खमिणंति णच्चा, माई पमाई पुण एइ गब्भ, उवेहमाणो सद्दरूवेसु उज्जू माराभिसंकी मरणापमुच्चइ, अप्पमत्तो कामेहिं, उवरओ पावकम्मेहिं, वीरे आयगत्ते खेयन्ने, जे पज्जवजायसत्थस्स खेयन्ने से असत्थस्स खेयन्ने, जे असत्थस्स खेयन्ने से पज्जवजाय सत्थस्स खेयन्ने, अकम्मस्स ववहारो न विज्जइ, कम्मुणा उवाही जायइ कम्मं च पडिलेहाए॥10॥ छाया दृष्ट्वा आतुरप्राणान् (प्राणिनः) अप्रमत्तः परिब्रजेत् मत्वा च मतिमन्! पश्य? आरंभजंदुःखम्, इदमिति ज्ञात्वा मायी प्रमादी पुनरेति गर्भम्, उपेक्षमाणः शब्दरूपेषु ऋजुः, माराभिशंकी मरणात् प्रमुच्यते, अप्रमत्तः कामैरुपरतः पाप कर्मभ्यः वीरः आत्म गुप्तः खेदज्ञो यः पर्यवजातशस्त्रस्य खेदज्ञः स अशस्त्रस्य खेदज्ञ यः अशस्त्रस्य खेदज्ञः स पर्यवजात शस्त्रस्य खेदज्ञः अकर्मणः व्यवहारो-न विद्यते कर्मणोपाधिर्जायते कर्म च प्रत्युपेक्ष्य। पदार्थ-आउर पाणे-दुःखी प्राणियों को। पासिय-देखकर। अप्पमत्तो-अप्रमत्त भाव से। परिव्वए-संयम मार्ग का अनुसरण करे। य-और। मइमं-हे मतिमान्। पास-भाव सुप्त को देख? मंत्ता-गुण और दोष को मानकर तू मत शयन कर? आरंभज-आरम्भ से उत्पन्न हुआ। इणं-यह। दुक्खं-दुःख। ति-इस प्रकार। णच्चा-जानकर। माई-छल करने वाला। पमाई-प्रमाद करने वाला। गब्भं-गर्भ में। एइ-आता है; किन्तु जो। सद्दरूवेसु-शब्द और रूपादि विषयों में।
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy