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________________ अध्यात्मसार: 3 349 पाता। वह तो यही समझता है कि वह व्यक्ति जैसा भी है पूर्णतः अनुमोदनीय है, आचरणीय है। यदि आप समझपूर्वक शुद्ध भावपूर्वक किसी सद्गुणी को वन्दन कर रहे हैं तो हम उसकी पात्रता की अनुमोदना कर रहे हैं। जैसे हम भगवान की माँ को प्रेमपूर्वक याद कर उन्हें प्रणाम भी करते हैं, तो यह उनकी पात्रता की अनुमोदना है कि तीर्थंकर भगवान को जन्म देने की योग्यता उन्होंने प्राप्त की। यह सब आध्यात्मिक दृष्टिकोण से है। व्यवहारदृष्टि से रत्नत्रय में जो हमसे बड़े हैं, जिन्होंने पहले दीक्षा ली, उनको वन्दन करना। इसका अर्थ यह नहीं है कि जो आपके प्रति वन्दन कर रहा है, उसमें कोई सद्गुणों की कमी है, वह किसी प्रकार से हीन है, नहीं। आदर और प्रमोद भाव तो सभी के प्रति रखना। यदि यह पारस्परिक आदर और प्रमोद भाव नहीं रहता, तब फिर ऊँच-नीच, मान-अपमान की भावना का जन्म होता है। इस प्रकार मूलतः दो बातें सदा ध्यान में रखनी, 1. ना कोई ऊँच है ना कोई नीच, वरन सभी समान हैं, 2. सभी के प्रति प्रमोद भावना, जीवो मंगलम् सभी जीव मंगल स्वरूप हैं। भगवत् स्वरूप हैं, सभी जीव महान हैं। ___कहते हैं अयोग्य को वन्दना करने से पाप कर्म का बन्धन होता है, या फिर चित्र . को वन्दन करने से पापकर्म का बन्धन होता है। ___शुभ भाव पूर्वक सद्गुणों के प्रति रहे हुए प्रमोदभाव पूर्वक वन्दन करते हैं; तब पापकर्म का बन्धन नहीं होता है। जब भगवान के चित्र को आप देखते हैं, तब आपके भीतर भगवान के उन गुणों का स्मरण होता है, अर्थात् आप चित्र में भगवान की स्थापना करते हैं और चित्र के निमित्त को लेकर आपके आन्तरिक उच्चतम भावों का प्रकर्ष होता है और उसे भावपूर्वक वन्दन करते हैं तो वह कर्म निर्जरा का कारण बनता है। कहा भी है, ‘गुणी जनों को देख, मेरे हृदय में प्रेम उमड़ आवे' इस प्रकार गुणी जनों के प्रति स्नेह और आदरभाव रखना उचित है। .. तो क्या हम किसी की भी शरण में जा सकते हैं। शरण और वन्दन में अन्तर है। वन्दन प्रमोद भाव पूर्वक सद्गुणों की अनुमोदना है। शरण : अर्थात् आप जिसकी शरण में जाते हैं, उसे आपने पूर्णतः स्वीकार कर
SR No.002206
Book TitleAcharang Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2003
Total Pages1026
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size19 MB
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