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देवों एवं आर्यों की अर्द्धमागधी भाषा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अर्द्धमागधी भाषा गहन - गम्भीर एवं श्रेष्ठ मानी गई है । ऐतिहासिक अन्वेषण से भी यह स्पष्ट होता है कि यह भारत की अति प्राचीन भाषा रही है । संस्कृत का उद्गम भी इसी भाषा से हुआ है।
प्रस्तुत आगम भी अर्द्धमागधी भाषा में रचा गया है । प्रस्तुत आगम की भाषा - एवं शैली अधिक प्राचीन है । इसमें आर्ष अर्द्धमागधी के अधिक प्रयोग मिलते हैं । इसका प्रत्येक पद अर्थ गाम्भीर्य, पद लालित्य एवं भाषा सौष्ठव को लिए हुए है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आचारांगसूत्र सबसे प्राचीन है और इसी कारण इसकी अत्यधिक महत्ता है । -
सूत्र शब्द का विश्लेषण
जैन परम्परा में आगमों का सूत्र के नाम से भी उल्लेख किया गया है। आचारांग श्रुत-आगम साहित्य का सर्व प्रथम सूत्र ग्रंथ है। सूत्र शब्द के भेद एवं उसकी व्याख्या करते हुए नियुक्तिकार आचार्य भद्रबाहु बृहत्कल्प सूत्र की नियुक्ति में लिखते हैं1. सूत्र अर्थ से आबोधित होता है, 2. सुप्त है, 3. श्लेष है, 4. सूक्त है, 5. सूचक है, 6. सूचिका–सूई है, 7. उत्पादक है, 8. अनुसरण कर्ता है।
1. अर्थ से आबोधित - सूत्र अर्थ रूप से विस्तृत शब्दों का संक्षिप्त रूप होता है । उसमें अर्थ अन्तर्निहित रहते हैं ।
2. सुप्त-जैसे 72 कलाओं में प्रवीण पुरुष जब सो जाता है, तब उसे अपनी
1. से किं त भासारिया ? भासारिया जे णं अद्धमागहीए भासाए भासेंति तत्थवि य णं जत्थ भीलवी पवत्त । भिए णं लिविए अट्ठारस्सविहे लेक्खविहाणे पं. तं. बंभी 1 जवणाणिया 2 दोसाउरिया 3 खरोट्ठी 4 पुक्खरसारिया 5 भोगवइया 6 पहराइया 7 अंतक्खरिया 8 अक्खरपुट्ठिया 9 वेणइया 10 निण्हइया 11 अंकलिवी 12 गणिय लिवी 13, गन्धव्वलिवी 14 आयंसलिवी 15 माहेसरी 16 दामिलिवी 17 पोलिंदी 18 से तं भासारिया ।
- प्रज्ञापना पद 1
देवा णं भंते! कराए भासाए भासंति ? कयरा वा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति ? गोयमा! देवा णं अद्धमागहीए भासाए भासंति सा वि य णं अद्धमागहीभासा भासिज्जमाणी विसिस्सति । - भगवती. श. 5 उ. 4, सू. 191