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पारिभाषिक शब्दकोश
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सादित्व-पदार्थ के अस्तित्व में आने की आदि। साधनाभिमुख-साधना के पथ पर बढ़ने वाला।
साध्य-सिद्धि-अपने लक्ष्य को सिद्ध कर लेना या अपने मुक्ति के उद्देश्य या ध्येय को पूरा कर लेना। .. साम्परायिक क्रिया-कषाय युक्त भाव से की जीने वाली क्रिया। इससे व्यक्ति सात या आठ कर्म का बन्ध करता है और संसार में परिभ्रमण करता है।
सामायिक-जिस क्रिया या साधना से समभाव का लाभ होता हो, समभाव की अभिवृद्धि होती हो।
सामिष-मांसाहार। सावद्य-पाप-युक्त।
सावध औषध-सदोष औषध या साधु के निमित जिस औषध को बनाने में अनेक जीवों का वध होता हो। : सिद्ध-बुद्ध-समस्त कर्मों का नाश करके जन्म-मरण के चक्र से सर्वथा मुक्त . होने वाली आत्मा।
सिद्ध भगवान-संपूर्ण कर्मों का क्षय करके जन्म-मरण के दुखों से एवं कर्म तथा कर्म-जन्य साधनों से सर्वथा मुक्त आत्मा।
सुधर्मा-स्वामी-भगवान महावीर के पंचम गणधर और उनके शासन के प्रथम आचार्य-शास्ता।
सुप्रत्याख्यान-सच्चा-यथार्थ एवं अच्छा त्याग। सूत्रकार-शास्त्रों के उपदेष्टा।
सोपक्रमी-आयुष्य-किसी प्रकार उपक्रम-आघात लगने पर जीव का आयुष्य कम भी हो सकता है।
स्कन्ध बीज-जिस वनस्पति के स्कन्ध में बीज है।
स्थविर कल्प-संघ में रहकर मर्यादित वस्त्र, पात्र रखने एवं शहरादि में मर्यादित काल के लिए रहकर धर्मोपदेश देने एवं शिष्य बनाने वाले साधु निर्ग्रन्थों का , कल्प-मर्यादा।