________________
पारिभाषिक शब्दकोश
यहीं रह जाता है, परन्तु यह सूक्ष्म शरीर साथ रहता है और यही आत्मा को अपने उत्पत्ति स्थान पर ले जाता है।
911
काषायिक5- कषाय - क्रोध, मान, माया और लोभ से युक्त भाव ।
किंपाक फल–एक प्रकार का फल जो वर्ण-रूप, गंध, रस से सुन्दर, सुवासित एवं स्वादिष्ट लगता है, परन्तु स्वभाव से विषाक्त होता है । वह खाने वाले को निष्प्राण बना देता है ।
क्रियावादी - क्रिया - आचरण का मार्ग बताने वाला ।
कुरान शरीफ - मुसलमानों का धर्म-ग्रंथ ।
कुशल- निर्दोष ।
कूटस्थ - बिना किसी परिवर्तन के सदा-सर्वदा बने रहना । कृत-अकृत- - करने योग्य हो या न हो ।
केक्ल ज्ञान - इन्द्रिय, मन एवं अन्य किसी भी ज्ञान की बिना अपेक्षा के तीनों लोक में स्थित द्रव्यों एवं उनके त्रिकाल -वर्ती भावों को युगपत् हस्तामलकवत् जानना - देखना ।
केशी - श्रमण - भगवान पार्श्वनाथ (23 वें तीर्थंकर) के शिष्य, जो भगवान महावीर के शासनकाल में विद्यमान थे और गौतम स्वामी के साथ विचार चर्चा करने के बाद भ. महावीर के शासन में सम्मिलित हो गए ।
क्षयोपशम-कर्म की कुछ प्रकृतियों को नष्ट कर देना और कुछ को शान्त कर देना, अर्थात् उन्हें उभरने न देना ।
क्षयोपशमिक- सम्यक्त्व - जिसमें दर्शन - मोह कर्म की कुछ प्रकृति क्षय एवं कुछ का उपशम होता है।
क्षायिक सम्यक्त्व- जिसमें दर्शन - मोह कर्म की 7 प्रकृतियों का क्षय कर दिया
है
1
क्षेत्रज्ञ - अग्नि के वर्ण आदि को जानने वाला ।
क्षेमंकरी - कल्याणकारी ।
ज्ञानावरणीय - ज्ञान को आवृत करने, ढकने वाला कर्म ।
गया