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________________ 240 300 25 वत्थु . चूलिका पाहुड पद परिमाण 104 2000 1 करोड़ 1412280 96 लाख ___8. 8 160 70 लाख 18 10 360 60 लाख ___12x 240 1 कम एक करोड़ . 1 करोड़ 6 पद 320 26 करोड़ 400 1 करोड़, 80 हजार 600 84 लाख 1 करोड़, 10 लाख. 11 12 x 200 26 करोड़ 13x . 200। 1 करोड़, 56 लाख 30 . x 200 9 करोड़ 200 . 12 करोड़, 50 लाख कुल 225 34 5 700 . 832680005 . . ___ 14 पूर्वो के नामों में श्वेताम्बर व दिगम्बर दोनों संप्रदायों में कोई विशेष भेद नहीं है, सिर्फ अवंझं के स्थान पर दिगम्बर परम्परा में कल्याणवादपूर्व कहा है। अवंझं का जो अर्थ वृत्तिकार ने अवन्ध्यं अर्थात् सफल कहा है, वह कल्याण के शब्दार्थ के निकट पहुंच जाता है। 6वें, 8वें, 9वें, 11वें, 12वें, 13वें, और 14वें, इन 7 पूर्वो के अंतर्गत वस्तुओं की संख्या में दोनों संप्रदायों में मत भेद है, शेष पूर्वो की वस्तु संख्या में कोई भेद नहीं हैं। जिज्ञासुओं की जानकारी के लिए उनकी संख्या भी प्रदर्शित करते हैं। छठे पूर्व में 12 वस्तु, 8वें में 20, 9वें में 30, और शेष 11वें से लेकर 14वें तक प्रत्येक में 10-10 वस्तु हैं। उन्होंने कुल वस्तुओं की जोड़ 195 बंताई है, जबकि श्वेताम्बरों के अनुसार वस्तुओं की कुल संख्या 225 होती है। प्राभृतों की संख्या षट्खण्डागम से ली गई है, पद संख्या नन्दी सूत्र की वृत्ति में ही लिखी हुई है। दृष्टिवाद के प्रकरण में प्राभृतों का उल्लेख मूल में ही है। इसलिए उन की संख्या उक्त तालिका में दी है। पूर्वो का ज्ञान कैसे होता है ? दृष्टिवाद श्रुतज्ञान का रत्नाकर है, श्रुतज्ञान का महाप्रकाश है। चौदह पूर्वो का ज्ञानं इसी में निविष्ट है। पूर्वो का या दृष्टिवाद का ज्ञान कैसे होता है ? इस प्रश्न के उत्तर में कहा जा
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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