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९. प्रत्याख्यानपूर्वस्य-विंशतिवस्तूनि प्रज्ञप्तानि, १०. विद्यानुप्रवादपूर्वस्य-पञ्चदश वस्तूनि प्रज्ञप्तानि, ११. अबन्ध्यपूर्वस्य-द्वादश वस्तूनि प्रज्ञप्तानि, १२. प्राणायुःपूर्वस्य-त्रयोदश वस्तूनि, प्रज्ञप्तानि, १३. क्रियाविशालपूर्वस्य-त्रिंशद् वस्तूनि प्रज्ञप्तानि, १४. लोकबिंदुसारपूर्वस्य-पञ्चविंशतिर्वस्तूनि प्रज्ञप्तानि। १. दश १ चतुर्दश २ अष्ट, ३ अष्टादशैव ४ द्वादश ५ द्वे च वस्तूनि।
६ षोडश ७ त्रिंशद् विंशतिः ८ पञ्चदश १० अनुप्रवादे ॥८९॥ २. द्वादशैकादशे, द्वादसे त्रयोदश एव वस्तूनि ।
त्रिंशत्पुनस्त्रयोदशे, चतुर्दशे पञ्चविंशतिः ॥९० ॥ ३. चत्वारि १ द्वादश २ अष्टौ ३ चैव दश ४ चैव चूलवस्तूनि ।
आदिमानां चतुण्ाँ, शेषाणां चूलिका नास्ति ॥ ९१ ॥
तदेतत्पूर्वगतम्। भावार्थ-शिष्य ने पूछा-भगवन् ! वह पूर्वगत-दृष्टिवाद कितने प्रकार का है ?
आचार्य उत्तर में बोले-भद्र ! पूर्वगत दृष्टिवाद १४ प्रकार का है, जैसे-१. उत्पादपूर्व, २. अग्रायणीयपूर्व, ३. वीर्यप्रवादपूर्व, ४. अस्तिनास्तिप्रवादपूर्व, ५. ज्ञान-प्रवादपूर्व, ६. सत्यप्रवादपूर्व, ७. आत्मप्रवादपूर्व, ८. कर्मप्रवादपूर्व, ९. प्रत्याख्यानप्रवादपूर्व, १०. विद्यानुप्रवादपूर्व, ११. अबन्ध्यपूर्व, १२. प्राणायुपूर्व, १३. क्रियाविशालपूर्व, १४. लोकबिन्दुसारपूर्व।
१. उत्पाद पूर्व के दस वस्तु और चार चूलिकावस्तु हैं। २. अग्रायणीय पूर्व के चौदह वस्तु और बारह चूलिकावस्तु हैं। ३. वीर्यप्रवादपूर्व के आठ वस्तु और आठ चूलिकावस्तु हैं। ४. अस्तिनास्ति प्रवादपूर्व के अठारह वस्तु और दस चूलिकावस्तु हैं। ५. ज्ञानप्रवादपूर्व के बारह वस्तु हैं। ६. सत्यप्रवाद पूर्व के दो वस्तु प्रतिपादन किए गए हैं। ७. आत्मप्रवाद पूर्व के सोलह वस्तु हैं। ८. कर्मप्रवाद पूर्व के तीस वस्तु कहे गए हैं। ९. प्रत्याख्यानपूर्व के बीस वस्तु हैं। १०. विद्यानुप्रवादपूर्व के पन्द्रह वस्तु प्रतिपादन किए गए हैं।
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