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________________ १०. नंदावत्तं, ११. उवसंपज्जणावत्तं, से त्तं उवसंपज्जणसेणिआपरिकम्मे । छाया - अथ किं तदुपसम्पादनश्रेणिकापरिकर्म ? उपसम्पादनश्रेणिकापरिकर्म एकादशविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा १. पृथगाकाशपदानि, २. केतुभूतम्, ३. राशिबद्धम्, ४. एकगुणम्, ५. द्विगुणम्, ६. त्रिगुणम्, ७. केतुभूतम् ८. प्रतिग्रहः, ९. संसारप्रतिग्रहः, १०. नन्दावर्त्तम्, ११.. उपसम्पादनावर्त्तम्, तदेतदुपसम्पादनश्रेणिका - परिकर्म । भावार्थ- वह उपसम्पादनश्रेणिकापरिकर्म कितने प्रकार का है ? उपसम्पादनश्रेणिकापरिकर्म ११ प्रकार का है, जैसे १. पृथगाकाशपद, २. केतुभूत, ३. राशिबद्ध, ४. एकगुण, ५. द्विगुण, ६. त्रिगुण, ७. केतुभूत, ८. प्रतिग्रह, ९. संसारप्रतिग्रह, १०. नन्दावर्त्त, ११ उपसम्पादनवर्त्त, यह उपसम्पादनश्रेणिकापरिकर्म श्रुत है । टीका-इस सूत्र में उपसंपादनश्रेणिका परिकर्म का उल्लेख है - उवसंपज्जण - इसका अर्थ ग्रहण एवं अंगीकार है। असंजमं परियाणामि, संजमं उवसंपज्जामि यहां 'उवसंपज्जामि' का अर्थ 'ग्रहण करता हूं' अर्थात् जो जो उपादेय हैं, उनकी श्रेणि में किस-किस साधक को, क्या-कया उपादेय है, ग्राह्य है, क्योंकि सभी साधकों की जीवन भूमिका एक सी नहीं होती, जो दृष्टिवाद के वेत्ता हैं, उनके पास जो कोई साधक आता है, उसके जीवनोपयोगी वैसा ही साधन बताते हैं, जिससे उसका कल्याण हो सके। संभव है, इसमें जितने भी कल्याण के छोटे-बड़े साधन हैं, उन सब का उल्लेख गर्भित हो । ६. विप्रजहत्श्रेणिका परिकर्म मूलम् - से किं तं विप्पजहणसेणिआपरिकम्मे ? विप्पज़हणसेणिआपरिकम्मे एक्कारसविहे पन्नत्ते, तं जहा १. पाढोआगा (मा) सपयाई, २. केउभूअं, ३. रासिबद्धं, ४. एगगुणं, ५. दुगुणं, ६. तिगुणं, ७. केउभूअं, ८. पडिग्गहो, ९. संसारपडिग्गहो, १०. नंदावत्तं, ११. विप्पजहणावत्तं, से त्तं विप्पजहणसेणिआपरिकम्मे | छाया - अथ किं तद् विप्रजहच्छ्रेणिकापरिकर्म ? विप्रजहच्छ्रेणिकापरिकर्म एकादशविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा १. पृथगाकाशपदानि, २. केतुभूतम्, ३. राशिबद्धम्, ४. एकगुणम्, ५. द्विगुणम्, ६. त्रिगुणम्, ७. केतुभूतम् ८. प्रतिग्रहः, ९. संसारप्रतिग्रहः, १०. नन्दावर्त्तम्, ११. विप्रजहदावर्त्तम्, तदेतद् विप्रजहच्छ्रेणिकापरिकर्म। *480*
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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