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________________ केतुभूतम्, ६. राशिबद्धम्, ७. एकगुणम्, ८. द्विगुणम्, ९. त्रिगुणम्, १०. केतुभूतम्, ११. प्रतिग्रहः, १२. संसारप्रतिग्रहः, १३. नन्दावर्त्तम्, १४. सिद्धावर्त्तम्, तदेतत् सिद्धश्रेणिकापरिकर्म। भावार्थ-सिद्धश्रेणिका परिकर्म कितने प्रकार का है ? आचार्य उत्तर में कहते हैं, वह १४ प्रकार का है, जैसे १. मातृकापद, २. एकार्थकपद, ३. अर्थपद, ४. पृथगाकाशपद, ५. केतुभूत, ६. राशिबद्ध, ७. एकगुण, ८. द्विगुण, ९. त्रिगुण, १०. केतुभूत, ११. प्रतिग्रह, १२. संसारप्रतिग्रह, १३. नन्दावर्त्त, १४. सिद्धावर्त्त, इस प्रकार सिद्धश्रेणिका परिकर्म है। .. टीका-इस सूत्र में सिद्धश्रेणिका परिकर्म के विषय में कहा गया है। इसके 14 भेद वर्णित हैं। सूत्र में उनके सिर्फ नामोत्कीर्तन ही किए हैं, विस्तार नहीं। सिद्धश्रेणिका-पद से संभावना की जा सकती है कि विद्यासिद्ध आदि का इसमें वर्णन होगा। चौथा पद “पाढो आमासपयाइ' यह किसी-किसी प्रति में पाया जाता है। मातृकापद, एकार्थकपद, और अर्थपद ये तीनों पद सम्भव है, मंत्र विद्या से सम्बन्ध रखते हों, कोश से भी इनका सम्बन्ध ऐसा ही प्रतीत होता है। इसी प्रकार राशिबद्ध, एक गुण, द्विगुण, ये तीन पद सम्भव है गणित विद्या से सम्बन्ध रखते हों, ऐसा निश्चय होता है। दृष्टिवाद सर्वथा व्यवच्छिन्न हो जाने से इसके विषय में और कुछ नहीं कहा जा सकता, तत्त्व केवलीगम्य २. मनुष्यश्रेणिका परिकर्म मूलम्-से किं तं मणुस्ससेणिआपरिकम्मे ? मणुस्ससेणिआपरिकम्मे चउदसविहे पण्णत्ते, तंजहा. .. १. माउयापयाई, २. एगठ्ठिअपयाई, ३. अट्ठपयाई, ४. पाढोआगा (मा) सपयाई, ५. केउभूअं, ६. रासिबद्धं, ७. एगगुणं, ८. दुगुणं, ९. तिगुणं, १०. केउभूअं११. पडिग्गहो, १२. संसारपडिग्गहो, १३. नंदावत्तं, १४. मणुस्सावत्तं, से त्तं मणुस्ससेणिआपरिकम्मे। ... छाया-अथ किं तन्मनुष्यश्रेणिकापरिकर्म ? मनुष्यश्रेणिकापरिकर्म चतुर्दशविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा १. मातृकापदानि, २. एकार्थकपदानि, ३. अर्थपदानि, ४. पृथगाकाशपदानि, ५. केतुभूतम्, ६. राशिबद्धम्, ७. एकगुणम्, ८. द्विगुणम्, ९. त्रिगुणम्, १०. केतुभूतम्, ११. प्रतिग्रहः, १२. संसारप्रतिग्रहः, १३. नन्दावर्त्तम्, १४. मनुष्यावर्त्तम् तदेतन्मनुष्यश्रेणिका-परिकर्म। - 477 -
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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